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Chandigarh PGI : पीजीआई में 8 वर्षीय बच्ची की चेतनावस्था में सफलतापूर्वक ब्रेन सर्जरी, चिकित्सा जगत में नई उम्मीद

07:34 PM Dec 15, 2024 IST
chandigarh pgi   पीजीआई में 8 वर्षीय बच्ची की चेतनावस्था में सफलतापूर्वक ब्रेन सर्जरी  चिकित्सा जगत में नई उम्मीद
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 15 दिसंबर

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चंडीगढ़ के पीजीआई में बाल चिकित्सा न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की गई है। यहां की विशेषज्ञ टीम ने 8 वर्षीय बच्ची पर ऐवेक क्रैनियोटॉमी (जागरूक स्थिति में मस्तिष्क सर्जरी) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह न केवल संस्थान में इस प्रकार का पहला मामला है, बल्कि इस प्रक्रिया से गुजरने वाली बच्ची अब तक की सबसे कम उम्र की मरीज है।

इस ऐतिहासिक सर्जरी ने मस्तिष्क ट्यूमर के इलाज में एक नया अध्याय लिखा है। खासकर उन मामलों में जहां ट्यूमर मस्तिष्क के महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्रों के पास स्थित होता है। यह सर्जरी 8 वर्षीय बच्ची पर की गई, जिसे बाईं ओर कमजोरी और फोकल मिर्गी के दौरे पड़ते थे। जांच में बच्ची के दाएं हिस्से में बड़े इंसुलर ग्लियोमा (मस्तिष्क ट्यूमर) का पता चला। इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को न्यूरोसर्जन डॉ. सुशांत कुमार साहू ने अंजाम दिया, जिनका सहयोग सीनियर रेजिडेंट डॉ. ललित तोमर ने किया।

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संचार और विश्वास से मिली सफलता

इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए सर्जरी से पहले बच्ची और उसके परिवार के साथ व्यापक संवाद किया गया। न्यूरोएनेस्थीसिया टीम, जिसमें डॉ. राजीव चौहान, डॉ. मिथलेश, और डॉ. मंजरी शामिल थे, ने बच्ची को सर्जरी के दौरान निभाई जाने वाली गतिविधियों जैसे वस्तुओं की पहचान, गिनती, और कहानी सुनाने का अभ्यास कराया। यह संवाद सर्जरी के दौरान बच्ची की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण रहा।

सर्जरी के दौरान बच्ची की मस्तिष्क की गतिविधियों की निगरानी की गई और विद्युत उत्तेजना से मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों की पहचान की गई। इससे सर्जिकल टीम को ट्यूमर के आसपास के संवेदनशील क्षेत्रों से बचने में मदद मिली। सर्जरी सफल रही और बच्ची की स्थिति सामान्य है।

क्या है ऐवेक क्रैनियोटॉमी?

ऐवेक क्रैनियोटॉमी एक जटिल सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें मरीज को सर्जरी के दौरान जागृत रखा जाता है। इसका उद्देश्य मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों की लगातार निगरानी करना है। हालांकि यह तकनीक वयस्क मरीजों के लिए अपनाई जाती रही है, बच्चों पर इसे करना बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उनमें डर और घबराहट का जोखिम अधिक होता है।

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