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Chandigarh News : हिप सर्जरी के भविष्य की तस्वीर पीजीआई में हुई उजागर, रोबोटिक्स, नेविगेशन और विशेषज्ञता का संगम बना 2nd आर्थ्रोप्लास्टी कोर्स का मंच

06:14 PM Jun 01, 2025 IST

विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 1 जून (ट्रिन्यू)

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Chandigarh News : रविवार को पीजीआई चंडीगढ़ में चिकित्सा विज्ञान का एक ऐसा दृश्य सामने आया, जहां तकनीक, विशेषज्ञता और शिक्षण ने मिलकर हिप सर्जरी को नए आयाम दिए। 2nd PGI आर्थ्रोप्लास्टी कोर्स के दूसरे दिन देशभर के ऑर्थोपेडिक सर्जनों ने जटिल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की नई परिभाषा गढ़ी।

“सिंप्लिफाइंग द कॉम्प्लेक्सिटी” विषय पर आधारित इस कोर्स का आयोजन आर्थ्रोप्लास्टी सोसाइटी ऑफ ट्राइसिटी के तत्वावधान में हुआ। आयोजन समिति के अध्यक्ष और पीजीआई के ऑर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. विजय जी. गोनी ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह मंच नवाचार और अनुभव के साझे विस्तार का माध्यम है।

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हिप रिप्लेसमेंट पर केंद्रित मास्टरक्लास सेशंस

रविवार के सत्र में डॉ. आनंद जिंदल, डॉ. विष्णु बाबुराज और डॉ. अतुल मल्होत्रा जैसे देश के जाने-माने सर्जनों ने हिप रिप्लेसमेंट (THA) से जुड़ी जटिलताओं पर गहन चर्चा की। स्पिनोपेल्विक एलाइनमेंट, बोन लॉस मैनेजमेंट और प्राथमिक सर्जरी के उन्नत तरीकों पर विशेषज्ञ दृष्टिकोण सामने आए।

जब रोबोट बना सर्जन का सहायक

कार्यक्रम की खासियत रही रोबोटिक्स और नेविगेशन से जुड़ी वर्कशॉप्स, जहां डॉक्टरों ने सॉबोन टेक्नीक के ज़रिये THA और TKR की आधुनिकतम तकनीकों को प्रत्यक्ष अनुभव किया। यह सत्र सर्जिकल एक्यूरेसी और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट का बेहतरीन उदाहरण बना।

जटिल मामलों में तकनीक बनी उम्मीद

एक्सपर्ट एज सेशन में ऐसे केस प्रस्तुत किए गए, जो आमतौर पर सर्जनों के लिए सबसे मुश्किल होते हैं — पोस्ट ट्रॉमैटिक हिप, प्रोट्रूजियो, डिस्प्लास्टिक और एंकायलोज्ड हिप। इन मामलों में आधुनिक तकनीकों से इलाज की सफल संभावनाओं ने नई प्रेरणा दी।

पैनल चर्चा: अनुभव और विचारों की टक्कर

डॉ. रमेश सेन, डॉ. अवतार सिंह, डॉ. विजय गोनी, डॉ. विजय कुमार और डॉ. आदित्य अग्रवाल जैसे दिग्गज सर्जनों ने एसिटाबुलर फ्रैक्चर और पेल्विक डिसकंटिन्युटी में THA की भूमिका पर खुलकर चर्चा की। विचारों की यह टक्कर प्रतिभागियों के लिए गहरी सीख का कारण बनी।

युवाओं को मिला मंच, शोध को मिली उड़ान

युवा डॉक्टरों और ट्रेनीज़ द्वारा प्रस्तुत किए गए पोस्टर और पेपर शोध आधारित चिकित्सा शिक्षा की दिशा को और सशक्त बनाते दिखे। इस भागीदारी ने चिकित्सा क्षेत्र में नई सोच और नवाचार को बढ़ावा दिया।

सम्मान के साथ हुआ समापन

रविवार की शाम वैलेडिक्टरी सेशन और प्रमाणपत्र वितरण के साथ कोर्स के दूसरे दिन का समापन हुआ। उपस्थित सर्जनों के चेहरे संतोष, सीख और आगे बढ़ने के संकल्प से दमक रहे थे।

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