रक्षाबंधन से पहले होगी चंदा मामा से मुलाकात
*एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद
*17 अगस्त काे प्रणोदन मॉड्यूल से अलग होगा लैंडर
*23 को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद 14 दिन (एक चंद्रदिवस) चलेगा रोवर का अभियान
* करीब 600 करोड़ रुपये का अभियान
श्रीहरिकोटा, 14 जुलाई (एजेंसी)
अंतरिक्ष में उड़ान का एक नया अध्याय लिखते हुए भारत ने शुक्रवार को अपने तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया। अंतरिक्ष में 40 दिन की यात्रा के बाद 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की योजना है, यानी रक्षा बंधन से करीब एक हफ्ता पहले। चांद की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' में सफलता मिलते ही अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए एलवीएम3-एम4 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से अपराह्न 2:35 बजे निर्धारित समय पर उड़ान भरी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अधिकारियों के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया। इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने सफल प्रक्षेपण के बाद मिशन नियंत्रण कक्ष से कहा, 'बधाई हो, भारत। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमारे प्रिय एलवीएम-3 ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी के चारों ओर सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है... और आइये हम चंद्रयान-3 को आगे की कक्षा में बढ़ाने की प्रक्रिया तथा आने वाले दिनों में चंद्रमा की ओर इसकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करें।' प्रक्षेपण देखने के लिए मौजूद हजारों दर्शक चंद्रयान-3 के रवाना होते ही खुशी से झूम उठे और सफल प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों ने तालियां बजाईं। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रक्षेपण को भारत के लिए गौरव का क्षण करार दिया। इसरो अध्यक्ष ने कहा, ‘चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की उम्मीद है।' इसके बाद 17 अगस्त को प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होगा। सभी चीजें निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप रहती हैं, तो इसका अंतिम चरण 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना है। चंद्रयान मिशन की लागत के बारे में केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘यह करीब 600 करोड़ रुपये है।'
सॉफ्ट लैंडिंग की चुनौती : पंद्रह साल में इसरो का यह तीसरा चंद्र मिशन है। ‘सॉफ्ट लैंडिंग' इस अभियान का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगी। लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग' के बाद इसके भीतर से 'रोवर' बाहर निकलेगा और चंद्र सतह पर चलेगा व अपने उपकरणों की मदद से अध्ययन करेगा। रोवर की अभियान अवधि एक चंद्र दिवस (धरती के 14 दिन) के बराबर होगी। इससे पहले, 2019 में ‘चंद्रयान-2' मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम' सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हुआ था। पिछली बार की तरह इस बार भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को ही अन्वेषण के लिए चुना गया है। यह उत्तरी ध्रुव की तुलना में बहुत बड़ा है। इसके आस-पास स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है।
-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी