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चंदा ओ चंदा, चुराई सबकी निंदिया

06:35 AM Mar 23, 2024 IST
चंदा ओ चंदा  चुराई सबकी निंदिया
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सहीराम

बड़े फिल्मी गीत याद आ रहे हैं जी इधर। मसलन-चंदा ओ चंदा किसने चुराई तेरी-मेरी निंदिया वाला गीत है। जिसे अब यूं भी गाया जा सकता है कि चंदा ओ चंदा-क्यों चुराया तूने पूरे देश का चैना। क्या आपको नहीं लगता कि इस चंदे ने सचमुच सबका चैन चुरा रखा है। फिर चाहे बैंक हो-जिसे रोज अदालत की डांट पड़ती है कि तुमने अभी तक चंदे का पूरा ब्योरा नहीं दिया, वैसे ही जैसे निखट्टू बच्चे को रोज मास्टरजी की डांट पड़ती है कि तूने आज भी होम वर्क पूरा नहीं किया। फिर चाहे खुद अदालत ही हो, जिसे रोज एक ही मामले पर सुनवाई करनी पड़ रही है- चंदा-चंदा बस चंदा। बैंक को रोज डांट-डांटकर अदालत भी तंग आ गयी होगी। आखिर कोई किसी को कितना डांट सकता है। फिर चाहे राजनीतिक पार्टियां ही हों, जिन्हें डर सता रहा है कि कहीं चंदे का राज़ न खुल जाए।
जब गपागप ले रहे थे, तब यह नहीं सोचा था कि इतने गपागप से कहीं पेट ही न दुखने लगे। फिर चाहे नेता हों, जिन्हें यह डर सता रहा है कि जिस पार्टी से चुनाव लड़ना है कहीं उस पार्टी को मिले चंदे को भ्रष्टाचार मान कर जनता नाराज ही न हो जाए। हालांकि, मन में एक ख्याल यह भी आता होगा कि जब इतना चंदा मिला है तो मेरा पैसा क्यों खर्च करा रहे हैं-हमें भी खर्चा दे दे। पर यह बात कहे कौन?
फिर सेठ लोग हैं तो वे भी परेशान हैं कि यार हमने तो यह सोच कर चंदा दिया था कि किसे पता चलेगा। अब कहीं दूसरी पार्टी का राज आ गया तो क्या होगा। जिसे देखो वहीं परेशान है-मीडिया, यूट्यूबर्स सब परेशान हैं, यहां तक कि जनता भी परेशान है।
इसके बावजूद बड़े फिल्मी गीत याद आ रहे हैं- ‘दम भर को उधर मुंह फेरे ओ चंदा’ वाले गाने को अब इस तरह भी गाया जा सकता है-चुनाव तक और सामने न आता ओ चंदा तो चुनाव जीत लेता यह बंदा। या फिर यह गाना हो सकता है कि ‘ओ रात के मुसाफिर चंदा जरा बता दे’ वाला गाना है जिसे अब यूं गाया जा सकता है कि ओ चुनाव के मुसाफिर चंदा जरा बता दे कि अब किस रस्ते जाएं बंदा। या फिर यह गाना भी हो सकता है कि चंदा को ढ़ूंढ़ने सारे तारे निकल पड़े जिसे अब यूं गाया जा सकता है कि चंदा को ढूंढ़ने सारे विपक्षी निकल पड़े या मीडिया निकल पड़ा कि किसने, किसको दिया, कितना दिया, काला दिया कि सफेद दिया। वैसे तो इस मौके पर बच्चों की लोरियां भी याद की जा सकती हैं -चंदा मामा दूर के। इसे विपक्षी पार्टियां अपने उम्मीदवारों के लिए गा सकती हैं। सत्ता पक्ष के लिए वे गा सकते हैं कि आप खाए थाली में, औरों को दे प्याली में।

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