चुनौती भरी राह
यह हकीकत है कि पंजाब पर बढ़ते कर्ज के बोझ के बीच पेश वार्षिक बजट में राज्य सरकार ने लोकलुभावन घोषणाएं करने से परहेज किया है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं का खुलासा किया है। पंजाब की आप सरकार के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने संतुलन बनाने का प्रयास करते हुए राज्य के 2024-25 के बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार का ध्यान केंद्रित किया है। बजट का कुल परिव्यय दो लाख करोड़ से अधिक हो गया है। हालांकि, आम चुनाव के तरफ बढ़ते देश में नये कर लगाने से परहेज किया गया है। लेकिन राज्य की खस्ता आर्थिक स्थिति के बीच आप सरकार अपने चुनावी वादे के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को प्रति माह एक हजार रुपये की राशि देने के मुद्दे पर निर्णायक पहल नहीं कर पायी। इस बाबत फैसले का पंजाब की महिलाएं बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। हाल ही में हिमाचल की सुक्खू सरकार ने अपने राज्य में महिलाओं से किये गए ऐसे वादे के क्रियान्वयन की घोषणा कर दी है। पंजाब में यह उम्मीद इसलिये भी बढ़ गई थी क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में आप की ही सरकार ने ऐसी घोषणा को अपने बजट में शामिल किया है। उम्मीद थी कि पंजाब में भी ऐसी ही पहल होगी। बहरहाल, पंजाब की आप सरकार की इस बात के लिये सराहना की जानी चाहिए कि उसने राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य की देखभाल के लिये पर्याप्त बजट का प्रावधान किया है। स्कूल ऑफ एमिनेंस, स्कूल ऑफ ब्रिलिएंस तथा स्कूल ऑफ हैप्पीनेस की स्थापना की घोषणा निश्चित ही एक सराहनीय पहल है। इसी तरह मिशन समरथ, चिकित्सा शिक्षा में निवेश और राज्य के विश्वविद्यालयों को अनुदान की घोषणा निश्चित रूप से अकादमिक उत्कृष्टता के पोषण के लिये एक समग्र दृष्टिकोण का ही परिचायक है। इसी तरह आम आदमी क्लीनिक की स्थापना और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
वहीं दूसरी ओर कृषि प्रधानता के लिये पहचान बनाने वाले पंजाब में किसानों से जुड़े मुद्दों को भी संबोधित किया गया है। इसमें ग्लोबल वार्मिंग के संकट के बीच फसल विविधीकरण और भूजल के लगातार बढ़ते संकट से जुड़े मुद्दों को भी आप सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। निस्संदेह, यह पहल राज्य में सतत विकास की दिशा में सार्थक प्रयास कही जाएगी। वहीं दूसरी ओर सरकार ने कभी खेलों का सरताज रहे पंजाब में खेलों को प्रोत्साहन की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। इसी कड़ी में खेल नर्सरी और खेल विश्वविद्यालयों के लिये वित्त पोषण जैसी पहल भी सराहनीय कदम है। लेकिन इसके बावजूद राज्य पर लगातार बढ़ता कर्ज संकट सरकार की गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए। यहां उल्लेखनीय है कि मार्च, 2022 में राज्य पर जो कर्ज 2.73 लाख करोड़ रुपये था, वह जनवरी, 2024 में बढ़कर 3.33 लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है। राज्य में राजकोषीय घाटे को लेकर चिंता बनी हुई है। केंद्रीय बैंक आरबीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि पंजाब का ऋण से जीडीपी का अनुपात 47.6 फीसदी है। जो राज्यों में दूसरा सबसे बड़ा अनुपात है। यही वजह है कि राज्य सरकार को अपने खर्चे पूरे करने के लिये नये ऋणों की व्यवस्था करनी पड़ रही है। दरअसल, वेतन, पेंशन, ऋण भुगतान तथा बिजली सब्सिडी जैसी प्रतिबद्ध देनदारियां राज्य की राजस्व प्राप्तियों को काफी हद तक प्रभावित कर रही हैं। निश्चित रूप से राज्य सरकार को नये विकास कार्यों के लिये वित्तीय संसाधन जुटाने में परेशानी आ रही है। तभी चालू वित्तीय वर्ष में भी इसी कारण कुल प्राप्तियों में पूंजीगत व्यय का हिस्सा सीमित ही रहा है। निश्चित रूप से सरकार को सख्त वित्तीय अनुशासन की जरूरत है। साथ ही सरकार को भी सोचना होगा कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने से राज्य के आर्थिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। दरअसल, पंजाब की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये जिन सख्त निर्णयों की जरूरत महसूस की जाती रही है, चुनावी माहौल में राज्य सरकार उन कदमों को उठाने से बच रही है।