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भिक्षावृत्ति मुक्त भारत बनाने की राह में चुनौतियां

08:10 AM Jul 13, 2024 IST
भिक्षावृत्ति मुक्त भारत बनाने की राह में चुनौतियां
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हेमलता म्हस्के

अब देश में भीख मांगने पर रोक लगेगी क्योंकि उनके संरक्षण और पुनर्वास के लिए कोशिश होगी। देश में भिक्षावृत्ति बढ़ती जा रही है और रोकने की कोई ठोस पहल नहीं हुई है। हालांकि, भिक्षावृत्ति के खिलाफ कुछ राज्यों में कानून भी बने हैं लेकिन वे इसे रोक पाने में सक्षम नहीं हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों को भिखारियों की स्थिति में सुधार व पुनर्वास की सिफारिश की है।
आयोग के महासचिव भरत लाल ने कहा है कि भिक्षा में लगे लोगों की मौजूदगी कमजोर समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों को दर्शाती हैं। भिक्षावृत्ति का कारण सिर्फ गरीबी नहीं है बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक समस्या है जहां शिक्षा और रोजगार से वंचित लोग अपनी आजीविका के लिए भीख मांगने को मजबूर होते हैं। शहरों में धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर भीख मांगने वालों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे, किन्नर, बुजुर्ग और दिव्यांग होते हैं। देश में भीख मांगना एक अहम सामाजिक समस्या रही है, जिसके पीछे गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, सामाजिक असमानता और दिव्यांगता आदि वजहें हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, जहां देश में करीब चार लाख से अधिक लोग भिक्षावृत्ति से जुड़े हुए थे। फिलहाल उनकी संख्या बढ़कर करीब 7 लाख पहुंचने का अनुमान है। भिखारियों की संख्या बढ़ने का यह अनुमान केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से शहरों को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने को लेकर शुरू किए गए अभियान के दौरान लगा है। शहरों में इस अभियान को शुरू करने से पहले इनका सर्वे कराया गया था। हालांकि, यह योजना मौजूदा समय में करीब 30 शहरों में ही चलाई जा रही है जिसका लक्ष्य 2026 तक भिक्षावृत्ति मुक्त भारत बनाने का है।
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आठ प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है। सिफारिश के मुताबिक केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को नगर निगमों और सरकारी एजेंसियों की सहायता से भिक्षावृत्ति में लगे लोगों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने की सलाह दी गई है। आयोग ने भीख मांगने में लगे लोगों के संरक्षण और पुनर्वास पर एक राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने की सिफारिश की है, ताकि लक्षित वित्तीय सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण, गरीबी उन्मूलन और निरंतर निगरानी और पर्यवेक्षण के साथ रोजगार के अवसरों सहित उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाकर कार्यान्वित किया जा सके। आयोग ने कहा है कि सामाजिक सुरक्षा हेतु डिजिटल-प्रिंट मीडिया में जागरूकता अभियान शुरू कर संगठित/जबरन भीख मांगने की समस्या को सभी रूपों में समाप्त किया जाए।
आयोग ने कहा है कि संगठित समूह अक्सर कमजोर बच्चों को भीख मांगने के लिए बाध्य करते हैं। कुछ मामलों में बच्चों को भीख के लिये मजबूर करने हेतु उनका अपहरण तक कर लिया जाता है। जबरन भीख मांगने के किसी भी रैकेट पर अंकुश लगाने के लिए मानव व्यापार विरोधी कानून बनाने के लिए एक समाजशास्त्रीय और प्रभावी आर्थिक मूल्यांकन जरूरी है। इस कानून में अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित हो।
आयोग ने इस समस्या के समग्र समाधान हेतु सामाजिक कल्याण हस्तक्षेप, बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच, अधिकारों की रक्षा और उन्हें समाज में फिर से शामिल करने में मदद हेतु मजबूत कानूनी ढांचा बनाने की जरूरत बताई है। आयोग ने कहा है कि भीख मांगने के कारणों को सामने लाने के लिए भिखारियों के सर्वेक्षण, पहचान, मानचित्रण और डेटा बैंक तैयार करना, भिक्षावृत्ति में लगे लोगों का पुनर्वास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कानूनी और नीतिगत ढांचा, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र, धर्मार्थ ट्रस्टों आदि के साथ सहयोग, वित्तीय सेवाओं तक पहुंच, जागरूकता पैदा करना, संवेदीकरण व निगरानी की जाए।
आयोग का कहना कि भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों की पहचान प्रक्रिया पूरी होने के बाद, उन्हें शहरों या जिलों में स्थित आश्रय गृहों में लाया जाए। उन्हें निवासियों के रूप में पंजीकृत किया जाए तथा राज्यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों या अधिकृत एजेंसियों में संबंधित विभागों/ नगरपालिकाओं/ ग्राम पंचायतों द्वारा पहचान पत्र जारी किए जाएं; आश्रय गृह उन्हें उचित आवास और भोजन की सुविधा, कपड़े, स्वास्थ्य सेवा, आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक खाते खोलने में सहायता सहित अन्य जरूरी सेवाएं मुहैया करे। सुनिश्चित करें कि भिक्षावृत्ति में लगे लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया हेतु मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, नशामुक्ति और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करें। बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत सरकारी या निजी स्कूलों में भीख मांगने में शामिल 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को पंजीकृत और नामांकित किया जाए। साथ ही सम्मान से जीने के लिये कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाए।
साथ ही सरकारी तंंत्र भिखारियों को उनके हकों के बारे में जागरूक करने के लिए एक जन-संपर्क और मोबिलाइजेशन सिस्टम स्थापित करें ताकि उनका शोषण रोका जा सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, गैर-सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल किया जाए।

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