पुतिन को चुनौती
सवा साल से अधिक समय से यूक्रेन युद्ध में कामयाबी न मिल पाने से मुश्किलों में घिरे रूसी राष्ट्रपति पुतिन को वैग्नर लड़ाकों की चुनौती बताती है कि रूस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। पुतिन की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैग्नर ग्रुप के विद्रोही तेवरों ने पूरी दुनिया को चौंकाया है। लेकिन शनिवार तक मामले का तब पटाक्षेप हो गया जब वैग्नर आर्मी के प्रमुख येवेनी प्रोगोझिन और पुतिन के मित्र व बेलारूस के राष्ट्रपति लूकाशेंको के बीच समझौता हो गया। क्रेमलिन ने कहा कि प्रोगोझिन बेलारूस जाएंगे और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को हटा लिया जायेगा। इससे पहले खबर आई थी कि इस प्राइवेट आर्मी ने विद्रोह का बिगुल बजाकर रूसी शहर रोस्तोव पर कब्जा कर वहां के सैन्य ठिकाने को घेर लिया है। यह भी कहा गया कि यह कुख्यात प्राइवेट आर्मी मास्को पहुंचने की कोशिश कर रही है। इस खबर से रूस समेत पूरी दुनिया में खलबली मच गई और रूस में आपातकाल लागू करने की बात कही जाने लगी। पहले यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि पूर्व सैनिकों व सजायाफ्ता अपराधियों को मिलाकर बनी इस प्राइवेट आर्मी को रूसी सेना के कुछ गुटों का समर्थन हासिल है। बहरहाल हकीकत कुछ भी हो इस घटनाक्रम से रूसी राष्ट्रपति पुतिन की प्रतिष्ठा पर आंच तो आई ही है। वहीं पुतिन ने वैग्नर के विद्रोह को विश्वासघात बताते हुए सख्त कार्रवाई की बात कही। लेकिन दुनिया अभी समझने की कोशिश कर रही है कि पुतिन की सोच से उपजी यह कुख्यात प्राइवेट आर्मी अचानक पुतिन के खिलाफ कैसे हो गई।
सवाल उठाया जा रहा है कि पुतिन के इशारे पर पूरी दुनिया के अशांत इलाकों में कोहराम मचाने वाले वैग्नर समूह ने अचानक विद्रोही तेवर क्यों अपना लिये? अब तो यह समूह रूसी सेना के साथ यूक्रेन में कंधा से कंधा मिलाकर लड़ रहा था? यूक्रेन ही नहीं, दुनिया के कई अशांत इलाकों मसलन सीरिया व लीबिया में भी वैग्नर ग्रुप के लड़ाके रूस के हितों की पूर्ति के लिये कहर बरपाते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस प्राइवेट आर्मी में जहां कुछ रूसी भूतपूर्व सैनिक हैं तो एक बड़ी संख्या सजायाफ्ता कुख्यात अपराधियों की है, जिन्हें मुक्ति का आश्वासन दिया जाता है। जिनका एकमात्र मकसद पैसा कमाना ही होता है। ऐसे में इस असामान्य बुनियाद वाले संगठन द्वारा यदि विद्रोह का बिगुल बजाया जाता है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि सारे घटनाक्रम के कुछ परोक्ष लक्ष्य हों। ऐसे चौंकाने वाले फैसलों के लिये पुतिन को दुनियाभर में जाना भी जाता है। लेकिन एक पक्ष यह भी कि एक साल से अधिक चले यूक्रेन युद्ध से सेना ही नहीं बल्कि प्राइवेट आर्मी वैग्नर समूह में भी असंतोष के सुर तेज होने लगे हैं। यह रोष कहीं न कहीं रूसी नागरिकों में भी नजर आता है जिनका जीवन यूक्रेन युद्ध के चलते अब सामान्य नहीं रह सका है। बहरहाल, घटनाक्रम से पुतिन की ताकतवर नेता की छवि को कुछ आंच जरूर आएगी।