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चढ़ूनी ने पंजाब के किसान नेताओं को बताया मंदबुद्धि

07:55 AM Jul 23, 2024 IST
अम्बाला शहर में सोमवार को किसानों को संबोधित करते संयुक्त संघर्ष पार्टी सुप्रीमो गुरनाम सिंह चढ़ूनी।-हप्र
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अम्बाला शहर, 22 जुलाई (हप्र)
आज अम्बाला शहर में अपनी नवगठित संयुक्त संघर्ष पार्टी की बैठक लेने आए गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने एक ओर पंजाब के किसान नेताओं को मंदबुद्धि और किसान द्रोही बता डाला वहीं उन्होंने स्वयं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की मंशा जाहिर करते हुए नेशनल मीडिया से सहयोग की अपेक्षा की। शहर पंचायत भवन में पत्रकारों से बात करते हुए संयुक्त संघर्ष पार्टी के सर्वेसर्वा गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि मीडिया साथ दे तो आज भी देश बच सकता है। देशद्रोहियों की अपेक्षा देशभक्तों की संख्या देश में ज्यादा है। चढ़ूनी बोले कि जिस मीडिया का दायरा जिला या एक स्टेट तक ही है वह तो पूरा सहयोग कर रहा है लेकिन जिसका दायरा नेशनल और इंटरनेशनल है, वो केवल मोदी सरकार के साथ है। उन्होंने कहा कि जब सैकड़ों चैनल चलाने वाले व्यक्ति के 5 हजार करोड़ रुपये माफ किए जाएंगे तो वे हमारी बात थोड़े ही कहेगा वह तो सरकार की बोली ही बोलेगा।
पंजाब में लड़े पिछले चुनाव को लेकर पूछे सवालों पर गरनाम सिंह चढ़ूनी बोले कि पंजाब संगठनों के विरोध के कारण उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। वहां के किसान नेता मंदबुद्धि, डल और किसान द्रोही हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो किसानों की पंजाब में 100 सीटें आनी थीं और देश भर में आज पंजाब माडल की चर्चा हो रही होती। उन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब के किसान नेताओं को वहां चुनाव लड़वाता, पूरा जोर जितवाने में लगा देता लेकिन पंजाब के किसान नेताओं ने साथ नहीं देकर अपने ही पैर पर ऐसी कुल्हाड़ी मार ली जिसके जख्म कभी ठीक नहीं होंगे।

आमजन सरकार की भीख पर ही निर्भर : गुरनाम

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पर चढूनी बाेले कि सैनी अपने आप में तो शरीफ हैं लेकिन नीतियां तो भाजपा की ही लागू की जानी हैं। कारपोरेट जगत को ही तो फायदा पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि आम जनता की कोई अहमियत नहीं। पहले भूख दो फिर दाने दे दो, इसी में उलझाए रखे है सरकार। कारोबार, रोजगार रहे नहीं। बस सरकार की भीख पर ही निर्भर होकर रह गया है आमजन। अपनी नवगठित पार्टी का एजेंडा और मेनीफेस्टो का विस्तार से जिक्र करते हुए चढ़ूनी ने कहा कि शोषितों के लिए कानून बनवाने के लिए ही उन्होंने नए दल का गठन किया है क्योंकि कानून लोकसभा व विधानसभा ने बनाना होता है।

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