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गमले में वन महोत्सव की रस्म अदायगी

12:55 PM Aug 03, 2022 IST
गमले में वन महोत्सव की रस्म अदायगी
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अशोक गौतम

कभी मैं कसमप्रिय था, इन दिनों रस्मप्रिय चल रहा हूं। भले ही अब मैं रस्मों-रिवाजों को उल्लास से नहीं मनाता, पर दूसरे सारे काम छोड़ उनकी रस्म अदा करना भी कभी नहीं भूलता। मैं बैंक से, दोस्तों से सौ झूठ बोल लिया कर्ज अदा करूं या न, पर रस्मों की अदायगी उनके समय के हिसाब से जरूर करता हूं। मसलन, जब पंद्रह अगस्त होता है तो स्वतंत्रता दिवस को उल्लास से मनाने के बदले उसकी रस्म अदायगी जरूर कर लेता हूं ताकि आसपास के बंधु मुझे राष्ट्रवादी समझें। रस्म अदा करने के बाद भले ही सारा दिन ताश के पत्ते फेंटते रहें। कई बार बहुत-सी रस्में जिंदगी में दिखावे के लिए भी तो करनी पड़ती हैं जनाब!

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तो मित्रो! पूरा देश जब वन महोत्सव की रस्म अदा कर रहा हो तो भला मैं भी क्यों न ये रस्म अदा करूं? ऐसे में मैं कैसे लात पर लात धरे लेटा रहूं? आखिर मैं भी तो पुश्तों से यहीं का हूं। यहीं का हवा-पानी लेता हूं। आटे-दाल पर सबकी तरह टैक्स देता हूं। इसलिए सबकी तरह इन दिनों मेरे सिर से पांव तक वन महोत्सव मनाने का भूत सवार है। देखो तो, पौधों की नर्सरियों में वन महोत्सव मनाने को पौधे कम पड़ गए हैं। उनके हाथ हैं कि वन महोत्सव मनाने को जले जा रहे हैं।

तो मैं भी हुजूर! इस वन महोत्सव के सीजन में वन महोत्सव की रस्म भर अदा करने को उग्र-व्यग्र हूं। पर मेरा संकट ये है कि जिस पॉश सोसायटी में मैं रहता हूं वहां पैदा होने से मरने तक की हर रस्म अदायगी के लिए प्रॉपर जगह अलॉट है, पर वन महोत्सव के लिए कहीं इंच भर जगह अलॉट नहीं।

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अब औरों की तरह वन महोत्सव की रस्म अदायगी तो मुझे भी करनी है न बंधुओ! ताकि दूर के नहीं तो कम से कम मेरे आसपास के लोग तो मुझे पर्यावरण प्रेमी भी समझें। पर अब मेरी दुविधा यह कि अब पौधा लगाऊं तो कहां लगाऊं? काश! आदमी के सिर पर भी पौधे लगा करते।

आवश्यकता आविष्कार की सच्ची जननी है किसी ने यों ही नहीं कहा था। इसलिए मैं बाजार से एक गमला ले आया हूं। आवश्यकतानुसार छत पर उसे बाजार से मिट्टी लाकर आधा भर दिया है। बस, जरा बारिश हो जाए और बारिश के समय दो-चार मेरे आसपास के सावन का आनंद लेने छाते ताने, बरसाती पहने छत पर फुदकने लगें तो मैं भीगते हुए गमले में पौधा लगा अपने हिस्से का वन महोत्सव मना पर्यावरण प्रेमियों की लिस्ट में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवा लूं।

हे मौसम विभाग! हमारी सोसायटी में ये बारिश-बुरिश होने का तुम्हारा कब का अनुमान है? सही सही बताना रे मौसम विभाग!

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