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बासमती के निर्यात से तुरंत पाबंदियां हटाये केंद्र : मान

06:50 AM Sep 16, 2023 IST
बासमती के निर्यात से तुरंत पाबंदियां हटाये केंद्र   मान
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लुधियाना, 15 सितंबर (निस)
केंद्र सरकार द्वारा बासमती के निर्यात पर लगाई पाबंदियों को पंजाब और किसान विरोधी कदम बताते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है। शुक्रवार को यहां पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय किसान मेले के अंतिम दिन किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का यह बेतुका फैसला किसानों के साथ-साथ व्यापारियों को आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र ने बासमती चावलों का कम से कम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन तय कर दिया है, जिससे बासमती की घरेलू कीमतों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्हाेंने कहा कि केंद्र के किसान व पंजाब विरोधी कदम का राज्य सरकार द्वारा जोरदार विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब सरकार केंद्रीय पाबंदियों के मद्देनजर बासमती चावल पश्चिमी बंगाल, केरल जैसे राज्यों को बेचने पर गौर कर रही है।
मुख्यमंत्री मान ने ग्रामीण विकास फंड को लेकर भी केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र ने पंजाब का 3622 करोड़ रुपये का ग्रामीण विकास फंड रोका हुआ है। राज्य की पिछली सरकारों ने इस फंड का दुरुपयोग किया था, जिसका नुकसान अब ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि यह केंद्र फंड जारी कर देता है तो राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की 67000 किलोमीटर लिंक सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे का कायाकल्प कर दिया जाएगा।

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रिकॉर्ड संख्या में आये किसान

किसान मेले में युवाओं की बड़ी संख्या पर संतुष्टि जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के लिए यह शुभ संकेत है कि नौजवान अब खेती के लिए नये तरीके अपनाने में रुचि दिखाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि किसान मेले के पहले दिन 1.9 लाख किसान शामिल हुए, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि अब वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का युग आ चुका है, नौजवान किसानों को आधुनिक खेती की तरफ मुड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में मेहनत करने के साथ-साथ तकनीक भी बहुत महत्व रखती है, जिससे फसलों की अच्छी उपज ली जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में कृषि सिंचाई के लिए 33 से 34 प्रतिशत नहरी पानी का प्रयोग किया जा रहा है और अगले साल तक 70 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे भूजल बचाकर आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित बना सकें।

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