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सर्वोच्च कोर्ट के फैसलों का सम्मान नहीं करना चाहता केंद्र : सुप्रीमकोर्ट

02:26 PM Sep 06, 2021 IST
सर्वोच्च कोर्ट के फैसलों का सम्मान नहीं करना चाहता केंद्र   सुप्रीमकोर्ट
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नयी दिल्ली, 6 सितंबर (एजेंसी)

सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र ट्रिब्यूनलों में अधिकारियों की नियुक्ति न करके इन अर्द्ध न्यायिक संस्थाओं को ‘शक्तिहीन’ कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल पीठासीन अधिकारियों, न्यायिक सदस्यों एवं तकनीकी सदस्यों की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। न्यायालय ने केन्द्र से कहा कि इस मामले में 13 सितंबर तक कार्रवाई की जाए। चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहती। लेकिन वह चाहती है कि बड़ी संख्या में रिक्तियों का सामना कर रहे न्यायाधिकरणों में केंद्र कुछ नियुक्तियां करे।

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कई महत्वपूर्ण न्यायाधिकरणों और राष्ट्रीय कंपनी लॉ न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), ऋण वसूली न्यायाधीकरण (डीआरटी), दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील अधिकरण (टीडीएसएटी) जैसे अपीलीय न्यायाधिकरणों में करीब 250 पद रिक्त हैं। पीठ ने कहा, ‘‘नियुक्तियां नहीं करके आप न्यायाधिकरणों को कमजोर कर रहे हैं।” न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल की बात पर गौर किया और न्यायाधिकरणों में रिक्तियों और उनसे संबंधित नए कानून संबंधी सुनवाई को 13 सितंबर के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि तब तक नियुक्तियां कर दी जाएंगी।” पीठ ने कहा, ‘‘यह तो साफ है कि आप इस अदालत के फैसलों का सम्मान नहीं करना चाहते। अब हमारे पास न्यायाधिकरण सुधार कानून पर रोक लगाने या न्यायाधिकरणों को बंद करने का विकल्प है या फिर हम स्वयं ही उनमें लोगों की नियुक्ति करें या अगला विकल्प है अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दें।’

न्यायालय ने कहा, ‘‘हम सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते हैं और सुप्रीमकोर्ट में जिस तरह से 9 न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है, हम उससे प्रसन्न हैं। पूरी कानूनी बिरादरी ने इसकी सराहना की है। ये न्यायाधिकरण सदस्यों या अध्यक्ष के अभाव में समाप्त हो रहे हैं। आप हमें अपनी वैकल्पिक योजनाओं के बारे में सूचित करें।”

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न्यायालय ने न्यायाधीकरण सुधार अधिनियम, 2021 के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका समेत कई नई याचिकाओं पर नोटिस जारी किए। यह कानून संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित हुआ था और इसे राष्ट्रपति ने 13 अगस्त को मंजूरी दी थी। पीठ ने कहा कि इन न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारी या अध्यक्ष के 19 पद रिक्त हैं। इसके अलावा न्यायिक और तकनीकी अधिकारियों के क्रमश: 110 और 111 पद भी रिक्त पड़े हैं।

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