आधुनिक चीन में परंपरा का उत्सव
चीन अपने तेज़ विकास और आधुनिकता के बावजूद अपनी सांस्कृतिक परंपराओं से गहरे जुड़े हुए हैं। हाल ही में चीनी नव वर्ष की धूम ने देश भर में उत्साह और खुशी का माहौल बना दिया। यह त्योहार, जो वसंत के आगमन का प्रतीक है, चीनी संस्कृति का अहम हिस्सा है और पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
अनिल आज़ाद पांडेय
तेज गति से विकास करने और आधुनिक होने के बावजूद चीन अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़ा हुआ देश है। यह हमें विभिन्न मौकों पर देखने को मिलता है। चीनी नागरिक भारतीयों की तरह अपने तीज-त्योहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। कहने में कोई दोराय नहीं है कि ये त्योहार लोगों को एक-दूसरे के साथ गहराई से जोड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। हाल में चीन में नए साल की धूम रही और हर जगह हर्ष और उल्लास का माहौल दिखा। चीन सहित दुनिया के कोने-कोने में रहने वाले चीनी लोगों ने अपने परिजनों और दोस्तों के साथ सर्प वर्ष की खुशियां बांटीं। यह चीन में साल का सबसे बड़ा पर्व होता है और लोग इस विशेष अवसर का बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारत में दीपावली या होली से इसकी तुलना की जा सकती है।
बता दें कि हिंदू नव वर्ष की तरह चीन का नया साल भी लूनर कैलेंडर पर आधारित होता है और इसे वसंत त्योहार या छुन चिए कहा जाता है। जो कि वसंत के आगमन का प्रतीक होता है। वैसे चीन में ड्रैगन बोट फेस्टिवल, छिंग मिंग और मध्य शरद त्योहार आदि भी मनाए जाते हैं। लेकिन वसंत त्योहार का स्वरूप व्यापक और बेहद खास होता है। राशि चक्रों के मुताबिक इस साल चीन में सर्प वर्ष है। सांप को दीर्घायु और भाग्य का प्रतीक माना जाता है, साथ ही यह सुख-समृद्धि और धन-धान्य का द्योतक है। चीनी लोग जहां कहीं भी रहते हैं वहां इस फेस्टिवल को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। त्योहार से पहले घरों की साफ-सफाई की जाती है और नई चीजें खरीदी जाती हैं। जिनमें नए-नए वस्त्र शामिल होते हैं। साथ ही बाज़ारों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और पताकाएं व लाल रंग की लालटेन टांगी जाती हैं। और इस दौरान पटाखे भी जलाए जाते हैं।
स्प्रिंग फेस्टिवल एक ऐसा उत्सव होता है, जिसमें सात से दस दिन तक पूरे देश में अवकाश रहता है। इसे गोल्डन वीक के तौर पर जाना जाता है। इस दौरान विभिन्न कार्यालय, स्कूल व कॉलेज आदि सब बंद रहते हैं। बाज़ारों का माहौल अलग दिखता है। लोग त्योहार से पहले खूब खरीदारी करते हैं, और त्योहार के दौरान अपने परिजनों के साथ मिलकर घर पर तरह-तरह के व्यंजन खाते हैं। साथ ही दोस्तों के घर जाते हैं और नए साल में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। शायद ही कोई ऐसा चीनी व्यक्ति होगा जो इस विशेष मौके पर अपने घर और परिजनों से दूर रहता हो। साल भर की भागदौड़ भरी और कामकाजी लाइफ के बीच चीनी लोग इस फेस्टिवल का पूरा आनंद उठाते हैं और तनाव भूल जाते हैं।जाहिर है कि यह चीन में पर्यटन और यातायात व्यस्तता का समय होता है। इस दौरान करोड़ों लोग इधर-उधर जाते हैं। पिछले साल चीनी नव वर्ष की छुट्टियों में लगभग 47 करोड़ लोगों ने देश के भीतर यात्रा की। जबकि बड़ी संख्या में प्रवासी चीनी विदेश से घर वापस आए। बताया जा रहा है कि इस बार भी नए साल पर करोड़ों लोगों ने सड़क, रेल, हवाई व जल मार्ग से यात्रा की। इस तरह छुट्टियां खत्म होने तक बड़ी संख्या में विभिन्न यातायात साधनों से चीनियों ने सफर किया। दिलचस्प बात यह है कि हाल में बाहरी मीडिया ने एचएमपीवी वायरस के चीन में प्रसार की खबरें जारी की थीं, लेकिन यहां उसका कोई असर नहीं दिखा।
साथ ही रेल विभाग ने लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त रेलगाड़ियों की व्यवस्था की। जबकि व्यस्त हवाई मार्गों पर विमानों की संख्या बढ़ायी गयी। हालांकि, इस अवधि में लोगों के लिए टिकट खरीदना किसी चुनौती से कम नहीं होता है, क्योंकि वे बड़े महानगरों और शहरों से अपने घर वापस लौटना चाहते हैं। इस तरह तकनीकी विकास और आधुनिकता के बावजूद चीनी लोग अपनी संस्कृति और परंपरा से दूर नहीं हुए हैं।
कहा जा सकता है कि चीन और भारत की संस्कृति काफी मिलती-जुलती है। जैसे भारत में अक्सर विभिन्न अवसरों पर बड़े-बुजुर्ग अपने से छोटे लोगों को शगुन या कुछ पैसे भेंट करते हैं। उसी तरह चीन में भी लाल लिफाफे (होंग पाओ) दिए जाते हैं। खासकर बच्चों को इस मौके का काफी इंतजार होता है। हालांकि आज के दौर में चीन में डिजिटल पेमेंट बहुत प्रचलित है। ऐसे में डिजिटल वॉलट से भी एक-दूसरे को पैसे दिए जाने लगे हैं।वहीं फेस्टिवल में चीनी लोगों के बीच टीवी और मोबाइल पर सांस्कृतिक व मनोरंजक कार्यक्रम देखना बहुत लोकप्रिय है। इस बार नव वर्ष का पहला दिन 29 जनवरी को था। और 28 जनवरी को नए साल की पूर्व संध्या पर स्प्रिंग फेस्टिवल गाला का आयोजन हुआ। इस गाला का टीवी और सोशल मीडिया के जरिए प्रसारण होता है, जिसे हर बार बड़ी संख्या में लोग देखते हैं। इसके लिए कलाकार लंबे समय से तैयारी करते हैं। यह गाला पिछले चार दशक से अधिक समय से आयोजित किया जा रहा है।
नव वर्ष के दौरान मंदिर मेलों का आयोजन होता है। कई दिनों तक पार्कों और मंदिरों में मेले लगते हैं, जहां बड़ी तादाद में लोग पहुंचते हैं। राजधानी बीजिंग में कई पार्कों में मेलों का आयोजन हुआ, जिनमें प्रतिदिन लाखों लोग पहुंचे। बताते हैं कि इन मेलों का इतिहास लगभग 2 हज़ार वर्ष पुराना है। मेलों के दौरान कई गतिविधियों का आयोजन होता है। इनमें खाने-पीने की वस्तुओं के साथ-साथ करतब, लोक-नृत्य और तमाशे लोगों को बहुत आकर्षित करते हैं।
एक राक्षस पर जीत की याद में जश्न
चीनी नव वर्ष यानी वसंत त्योहार के इतिहास की बात करें तो यह लगभग 4 हजार साल पुराना है। इसको लेकर कुछ कहानियां और किंवदंतियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले नव वर्ष की शुरुआत नीयन, नामक एक राक्षस के साथ लड़ाई से हुई। वह राक्षस लोगों को खूब परेशान करता था और उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाता था। साथ ही वह बच्चों और पशुओं को खा लिया करता था। राक्षस के आतंक से त्रस्त लोगों ने कई उपाय किए, आखिर में उन्हें पता लगा कि वह लाल रंग के कपड़ों को देखकर दूर भागता है। इसके बाद नव वर्ष के दौरान लोग अपनी खिड़कियों और दरवाजों पर लाल रंग की लालटेन और लाल रंग की चीज़ें लटकाने लगे। साथ ही यह भी किंवदंती है कि राक्षस ढोल की आवाज से डरता था, ऐसे में लोग बांस की नली में बारूद भरकर धमाका करते थे।
कहते हैं कि पहले वसंत उत्सव का कोई नाम नहीं था और न ही इसके उत्सव की कोई निश्चित तिथि निर्धारित थी। लेकिन चीनी चंद्र पंचांग के विकास के साथ-साथ वसंत त्योहार की तारीख निर्धारित की गयी। जो प्रत्येक वर्ष अलग-अलग तारीख को होता है।
चीनी राशि चक्र के मुताबिक हर नया वर्ष किसी न किसी जानवर से जुड़ा हुआ होता है। जबकि हर 12 साल में यह चक्र दोहराता है। इस राशि चक्र में 12 पशु तय हैं, जिनमें चूहा, बैल, बाघ, खरगोश, ड्रैगन, सांप, घोड़ा, बकरी, बंदर, मुर्गा, कुत्ता और सुअर शामिल हैं। इस क्रम के मुताबिक यह सांप का वर्ष है, जबकि पिछला साल ड्रैगन ईयर था।
कहा जा सकता है कि चीनी लोग अब भी अपनी संस्कृति और परंपरा से दूर नहीं हुए हैं। आधुनिक होते समाज के बीच चीन में परंपरागत उत्सवों को लेकर जबरदस्त उत्साह देखते ही बनता है।लेखक चीन स्थित सीजीटीएन में डेढ़ दशक से कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार हैं।