दिवाली मनाना तभी सार्थक, जब भीतर का अंधकार दूर हो : सोनिया महंत
बाबैन, 27 अक्तूबर (निस)
शाहबाद की साध्वी (मंगलमुखी) सोनिया महंत ने कहा है कि दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है, जब मनुष्य के भीतर का अंधकार दूर हो। अंधकार जीवन की समस्या है और प्रकाश उसका समाधान है। उन्होंने कहा कि जीवन जीने के लिए सहज प्रकाश चाहिए। दीपावली का न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, भौतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है और यह रोशनी का सबसे बड़े त्योहार है। भगवान महावीर का निर्वाण दिवस-दीपावली, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का आसुरी शक्तियों पर विजय के पश्चात अयोध्या आगमन का ज्योति दिवस-दीपावली, तंत्रोपासना एवं शक्ति की आराधक मां काली की उपासना का पर्व- दीपावली, धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना का पर्व दीपावली है। दीपावली पर्व हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की गौरव-गाथा है। सोनिया महंत ने कहा कि दीपावली का त्योहार भारतीय संस्कृति का गौरव है।
क्योंकि दीपावली रोशनी का पर्व है और दीया प्रकाश का प्रतीक है और तमस को दूर करता है। यही दीया हमारे जीवन में रोशनी के अलावा हमारे लिए जीवन की सीख भी है, जीवन निर्वाह का साधन भी है। दीया भले मिट्टी का हो, मगर वह हमारे जीने का आदर्श है, हमारे जीवन की दिशा है,संस्कारों की सीख है, संकल्प की प्रेरणा है और लक्ष्य तक पहुंचने का माध्यम है। त्यौहार एक दूसरे के साथ जोड़ता है और हमें अपने सभी गिले-शिकवे मिटाकर एक दूसरे को मिठाईयां बांटने चाहिए,गले लगाना चाहिए और इस मौके पर अपने सभी मतभेद खत्म करने चाहिए । उन्होंने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक अखंड ज्योति जल रही है। उसकी लौ कभी-कभार मद्धिम जरूर हो जाती है, लेकिन बुझती नहीं है। उसका प्रकाश शाश्वत प्रकाश है। हमारे भीतर अज्ञान का तमस छाया हुआ है। वह ज्ञान के प्रकाश से ही मिट सकता है। उन्होंने कहा है कि ज्ञान दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाश दीप है। जब ज्ञान का दीप जलता है, तब भीतर और बाहर दोनों आलोकित हो जाते हैं। दीवाली पर हमें मोह का अंधकार भगाने के लिए धर्म का दीप जलाना होगा। जहां धर्म का सूर्य उदित हो गया, वहां अंधकार टिक नहीं सकता। दीपावली पर्व की सार्थकता के लिए जरूरी है कि दीये बाहर के ही नहीं, दीये भीतर के भी जलने चाहिए, क्योंकि दीया कहीं भी जले, उजाला ही देता है। प्रकाश का प्रतीक दीपावली का त्योहार भारतीय संस्कृति का गौरव है। दीपावली रोशनी का पर्व है। दीया प्रकाश का प्रतीक है, जो तमस को दूर करता है। यही दीया रोशनी के अलावा सीख भी देता है। दीया भले ही मिट्टी का हो, मगर वह हमारा पथ प्रदर्शक बन जाता है।भारतीय संस्कृति में त्योहारों का बड़ा महत्व है। दीपावली रोशनी का त्योहार है। हर घर में दिया जले, यह हमारा प्रयास हो। आस-पास गरीबों के घरो में भी हम जाकर दिए जलाएं। मिठाई बंटे। सामाजिक सौहार्द व सद्भाव बना रहे, यही हमारे त्योहारों का संदेश हैं । दीपावली पर्व मर्यादा, सत्य, कर्म और सद़भावना का सन्देश देता है। सबके साथ मिलकर मिठाई खाने से आपसी प्रेम को बढ़ाने का संदेश मिलता है। शाहबाद की सोनिया महंत साध्वी (मंगलमुखी )बाबैन में लोगों के समक्ष बोल रही थी। किन्नरों ने भगवान श्री राम की सच्ची ऐसी भक्ति की थी कि वनवास से लौटने के बाद किन्नरों को भगवान श्री राम जी से वो आशीर्वाद मिला था,जिसके चमत्कार से किन्नरों द्वारा आशीर्वाद देने से लोगो का भला होता है। यहीं नही किन्नर जिसको भी प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं उसका मंगल हो जाता है। उसे जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती। श्री भगवान श्री राम जी ने किन्नरों से बहुत ही खुश होकर को किन्नरों वरदान दिया था कि जब भी तुम किसी को अपना आशीर्वाद या दुआ दोगे उनका कभी अनिष्ठ नहीं होगा और तुम्हारी दुआएं सबके लिए मंगलकारी सिद्ध होगी। तब से किन्नर बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। किन्नर किसी को भी बद्दुआ नहीं देते यदि आप किन्नरों को खुश न कर सकें तो कभी उन्हें नाराज न करें। सोनिया महंत ने सभी यजमानों को दिपावली की शुभकामंनाए व बधाई दी और भगवान श्री राम जी से प्रार्थना की है कि हमारे सभी यजमान हमेशा फल फूलते रहे और तरक्की करें।
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शाहबाद की सोनिया महंत साध्वी (मंगलमुखी )यजमानों के समक्ष बोलती हुई। (रामकुमार)