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Caste Census : जाति जनगणना को लेकर पायलट की दो टूक, कहा- क्या आकंड़ों की गिनती से डर रही मोदी सरकार?

11:50 PM Jun 17, 2025 IST

नई दिल्ली, 17 जून (भाषा)

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कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने जनगणना के लिए जारी अधिसूचना में ‘‘जातिगत गणना का उल्लेख नहीं होने'' व बजट आवंटन को लेकर मंगलवार को सवाल खड़े किए। आरोप लगाया कि जाति जनगणना पर सरकार की नीयत साफ नहीं है।

सरकार को ‘‘भ्रम की स्थिति'' पैदा करने के बजाय कांग्रेस शासित तेलंगाना में हुए हालिया जातिगत सर्वेक्षण का मॉडल अपनाते हुए जनगणना करानी चाहिए। केंद्र सरकार ने भारत की 16वीं जनगणना 2027 में कराने के लिए सोमवार को अधिसूचना जारी की। यह जनगणना 2011 में हुई पिछली जनगणना के 16 साल बाद होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि 2027 की जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल की जाएगी। कुछ भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं कि गजट अधिसूचना में जाति गणना का कोई उल्लेख नहीं है।

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पायलट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी ने लंबे समय से मांग रखी थी कि देश में जब भी जनगणना हो, उसमें जातिगत जनगणना कराई जाए। जातिगत जनगणना का उद्देश्य सिर्फ जाति के बारे में जानना नहीं, बल्कि यह भी पता करना है कि अलग-अलग वर्ग के लोग किन स्थितियों में रह रहे हैं, सरकार की योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं या नहीं? देश और संस्थाओं में कितनी भागीदारी है तथा लोगों की शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति क्या है?''

उन्होंने दावा किया कि भाजपा और प्रधानमंत्री ने अतीत में कई बार कहा कि जातिगत जनगणना की मांग उठाने वाले लोग ‘अर्बन नक्सल' हैं तथा मोदी सरकार ने संसद में जवाब दिया कि वह जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है। पायलट ने कहा कि भारी विरोध के बाद सरकार ने अचानक उनकी पार्टी की मांग को मानते हुए जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अब एक बार फिर से जातिगत जनगणना कराने की बात से पीछे हटने को लेकर हमें सरकार की नीयत पर शक है।

पायलट ने कहा कि ‘जनगणना बहुत पहले से होती आ रही है। पहले की सरकारों ने अनुभव और समझदारी से जनगणना करवाई है, लेकिन आप भाजपा सरकार की नीयत देखिए, जहां जनगणना कराने में 8-10 हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं, वहां सरकार ने 570 करोड़ रुपये बजट में आवंटित किए हैं। सरकार लोगों के सामने कह रही है कि वह जातिगत जनगणना कराएगी, लेकिन औपचारिक अधिसूचना से यह बात गायब है। मोदी सरकार सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए जातिगत जनगणना में देरी कर रही है।

ये वैसा ही कदम है, जैसे महिला आरक्षण के साथ किया गया। हमारा कहना है कि सरकार को इसपर राजनीति बंद कर प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना के लिए 'तेलंगाना मॉडल' को अपनाना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को बजट आवंटन पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जनगणना के लिए 570 करोड़ रुपये का बजट बहुत ही कम है।

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