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नायब कैबिनेट में बना जातिगत संतुलन, पर क्षेत्रीय समीकरणों का फिर नहीं हो पाया संधान

08:30 AM Mar 20, 2024 IST
चंडीगढ़ में मंगलवार को हरियाणा राजभवन में मुख्यमंत्री नायब सैनी कैबिनेट के मंत्रियों के साथ।

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 मार्च
हरियाणा मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद जातिगत संतुलन तो काफी हद तक बन गया है, लेकिन क्षेत्रीय समीकरण इस बार भी बिगड़े हुए हैं। रोहतक, झज्जर, सिरसा, नूंह व चरखी दादरी ऐसे जिले हैं, जहां 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा अपना खाता ही नहीं खोल पाई थी। वहीं पलवल, कैथल, सोनीपत, फतेहाबाद, जींद में पार्टी विधायक होते हुए भी किसी का नंबर कैबिनेट में नहीं पड़ा है। अंबाला लोकसभा क्षेत्र सबसे पावरफुल बन गया है।
कैबिनेट के मौजूदा ढांचे के हिसाब से ‘सरकार’ जीटी रोड पर नजर आ रही है। पानीपत से लेकर यमुनानगर-पंचकूला तक मुख्यमंत्री से स्पीकर व मंत्रियों का बोलबाला रहेगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मूल रूप से अंबाला जिले के रहने वाले हैं। वे 2014 में नारायणगढ़ से विधायक भी रहे हैं। बेशक, उन्हें करनाल हलके से उपचुनाव लड़वाने का फैसला लिया गया है ताकि करनाल सीएम सिटी बना रहे लेकिन उनकी गिनती अम्बाला जिले में ही होगी।
यमुनानगर के जगाधारी से विधायक कंवर पाल गुर्जर को नंबर-2 का कैबिनेट मंत्री बनाया हुआ है। पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता स्पीकर हैं और वे भी अंबाला पार्लियामेंट के अंतर्गत आते हैं। इसी तरह अंबाला सिटी से विधायक असीम गोयल को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री बनाया है। हालांकि मनोहर सरकार में भी अंबाला पार्लियामेंट का बोलबाला था। एक समय तो ऐसा था जब यहां से सांसद रहे स्व़ रतनलाल कटारिया भी केंद्र में राज्य मंत्री थे। वहीं अंबाला कैंट विधायक अनिल विज गृह व स्वास्थ्य मंत्री थे।
ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा ने अम्बाला लोकसभा क्षेत्र का दबदबा पहले की तरह बनाकर रखा है। जीटी रोड बेल्ट के थानेसर (कुरुक्षेत्र) हलके से विधायक सुभाष सुधा की भी कैबिनेट में एंट्री हो गई है। मनोहर सरकार में कुरुक्षेत्र जिले के पिहोवा हलके से सरदार संदीप सिंह विधायक थे। जूनियर महिला कोच से यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे संदीप सिंह को अब कैबिनेट से बाहर कर दिया है।
पांच विधानसभा सीटों में से तीन भाजपा को देने वाला करनाल जिला फिलहाल सत्ता में भागीदार नहीं है। हालांकि करनाल को सीएम सिटी ही रखने का ऐलान पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल कर चुके हैं। उनके द्वारा खाली की गई करनाल सीट पर होने वाले उपचुनाव में सीएम नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ेंगे। जीट रोड बेल्ट की पानीपत ग्रामीण सीट से भाजपा ने महिपाल ढांडा को राज्य मंत्री बनाया है। कैथल के चार हलकों में से दो – कलायत व कैथल से भाजपा विधायक हैं। मनोहर सरकार में कलायत विधायक कमलेश ढांडा राज्य मंत्री थीं, लेकिन इस बार उनका नंबर नहीं लगा है। पुंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह गोलन सरकार को समर्थन दे रहे हैं और उन्हें मंत्री बनाए जाने की संभावना थी, लेकिन वे भी कैबिनेट में जगह नहीं बना सके। सोनीपत जिला की छह सीटों में से दो – राई में मोहनलाल बड़ौली और गन्नौर में निर्मल रानी विधायक हैं। इस जिले को भी सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
आदमपुर से भाजपा विधायक कुलदीप बिश्नोई के कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिल पाई। हिसार विधायक कमल गुप्ता कैबिनेट में हैं। वहीं इस जिले के नलवा हलके से विधायक रणबीर सिंह गंगवा को डिप्टी स्पीकर बनाया हुआ है। भव्य बिश्नोई को कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए लॉबिंग भी हुई, लेकिन बात नहीं बन पाई।

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कांडा समर्थक मायूस

सरकार को शुरू से ही समर्थन दे रहे सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा को वैश्य कोटे से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की अटकलें कई दिनों से लगाई जा रही थीं। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व से उनके नाम को हरी झंडी नहीं मिली। भाजपा सिरसा जिला में खाता नहीं खोल पाई थी। रानियां से निर्दलीय विधायक चौ. रणजीत सिंह को सरकार ने दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया है। वहीं गठबंधन सरकार में टोहाना से जजपा विधायक देवेंद्र बबली कैबिनेट मंत्री थे। रतिया विधायक लक्ष्मण नापा को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी लेकिन जातिगत समीकरणों के चलते वे कैबिनेट में नहीं आ सके।

निर्दलीयों की भी अनदेखी

हरियाणा में सात निर्दलीय विधायकों में से छह – चौ. रणजीत सिंह, नयनपाल रावत, सोमबीर सिंह सांगवान, राकेश दौलताबाद, धर्मपाल गोंदर व रणधीर सिंह गोलन सरकार को समर्थन दे रहे हैं। महम विधायक बलराज कुंडू ने शुरू में सरकार को समर्थन दिया था लेकिन बाद में उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसी तरह से सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा शुरू से सरकार को समर्थन दे रहे हैं। निर्दलीयों में रणजीत सिंह को छोड़कर किसी विधायक का नंबर मंत्री पद के लिए नहीं पड़ा है। बताते हैं कि निर्दलीयों की ओर से लॉबिंग भी की गई लेकिन बात नहीं बन पाई।

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पर सरकार निर्दलीयों के ही सहारे

90 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के इस समय 40 विधायक हैं, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद यह संख्या है। 6 निर्दलीयों व गोपाल कांडा के समर्थन से मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सरकार का गठन किया है। जजपा के 10 विधायक हैं लेकिन अब भाजपा और जजपा का गठबंधन टूट चुका है। कांग्रेस के 30 विधायक हैं और इनेलो के अभय चौटाला ऐलनाबाद से एमएलए हैं। जजपा के दस में से पांच विधायक ‘बागी’ तेवर अपनाए हुए हैं। बहुमत प्रस्ताव पेश होने के दिन भी ये पांचों विधायक विधानसभा पहुंचे थे।

लोकसभा क्षेत्र अनुसार ऐसे समझें गण्िात

अंबाला : सीएम नायब सैनी के अलावा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, कैबिनेट मंत्री कंवर पाल और अंबाला सिटी विधायक असीम गोयल की एडजस्टमेंट।
कुरुक्षेत्र : थानेसर विधायक सुभाष सुधा को बनाया राज्य मंत्री। कलायत विधायक कमलेश ढांडा और पिहोवा विधायक सरदार संदीप सिंह की छुट्टी।
करनाल : पानीपत ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा बने राज्य मंत्री। सीएम लड़ेंगे करनाल हलके से उपचुनाव। पूर्व सीएम इस बार बने लोकसभा प्रत्याशी।
सोनीपत : किसी भी विधायक को नहीं मिला सरकार में शामिल होने का मौका। सोनीपत में दो व जींद जिले में है भाजपा का एक विधायक।
हिसार : विधायक कमल गुप्ता को दूसरी बार बने मंत्री। बवानीखेड़ा के बिशम्बर वाल्मीकि राज्य मंत्री और नलवा विधायक रणबीर सिंह गंगवा डिप्टी स्पीकर।
सिरसा : रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह कैबिनेट मंत्री। फतेहाबाद व रतिया में भाजपा विधायक। किसी का नहीं लग पाया नंबर।
भिवानी-महेंद्रगढ़ : लोहारू विधायक जयप्रकाश दलाल दूसरी बार बन चुके कैबिनेट मंत्री। अब नांगल-चौधरी विधायक अभय सिंह यादव को बनाया राज्य मंत्री।
गुरुग्राम : यहां से सांसद राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में मंत्री हैं। बावल विधायक डॉ बनवारी लाल कैबिनेट मंत्री हैं। अब सोहना विधायक संजय सिंह बने राज्य मंत्री।
फरीदाबाद : मौजूदा सांसद कृष्णपाल गुर्जर केंद्र में मंत्री हैं। बल्लभगढ़ विधायक मूलचंद शर्मा कैबिनेट मंत्री हैं। बड़खल विधायक सीमा त्रिखा बनीं राज्य मंत्री।

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