Cannes Film Festival: पायल कपाड़िया ने ‘ग्रैंड प्रिक्स’ जीतकर रचा इतिहास
कपाड़िया की फिल्म बृहस्पतिवार रात प्रदर्शित हुई। यह 30 वर्ष में मुख्य प्रतियोगिता में प्रदर्शित होने वाली किसी भारतीय महिला निर्देशक की पहली भारतीय फिल्म है। मुख्य प्रतियोगिता के लिए चयनित की गयी आखिरी भारतीय फिल्म शाजी एन करुण की 1994 में आयी ‘स्वाहम’ थी। कपाड़िया को अमेरिकी अभिनेता वियोला डेविस ने ‘ग्रैंड प्रिक्स’ पुरस्कार प्रदान किया।
पुरस्कार लेते हुए उन्होंने फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाली तीन अभिनेत्रियों- कानी कुश्रुति, दिव्या प्रभा और छाया कदम का आभार जताया और कहा कि उनके बिना यह फिल्म नहीं बन पाती। कपाड़िया ने कहा, ‘मैं बहुत घबरायी हुई हूं इसलिए मैंने कुछ लिखा है। हमारी फिल्म यहां दिखाने के लिए कान फिल्म महोत्सव का शुक्रिया। कृपया किसी और भारतीय फिल्म के लिए 30 साल तक इंतजार मत करना।’
उन्होंने कहा, ‘यह फिल्म मित्रता के बारे में, तीन बहुत ही अलग-अलग मिजाज की महिलाओं के बारे में हैं। कई बार महिलाएं एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी हो जाती हैं। हमारा समाज इसी तरीके से बनाया गया है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन मेरे लिए दोस्ती बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता है, क्योंकि इससे अधिक एकजुटता, समावेशिता और सहानुभूति पैदा होती है।’
इससे पहले शुक्रवार को बुल्गारिया के निर्देशक कॉन्स्टांटिन बोजानोव की हिंदी भाषी फिल्म ‘द शेमलेस’ के प्रमुख कलाकारों में से एक अनसुया सेनगुप्ता ने 2024 के कान फिल्म महोत्सव में ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया था।
आठ मिनट तक तालियां बजाते रहे दर्शक
मलयालम-हिंदी फीचर फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ एक नर्स प्रभा के बारे में है, जिसे लंबे समय से अलग रह रहे अपने पति से एक अप्रत्याशित उपहार मिलता है, जिससे उसका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस फिल्म को कान महोत्सव में दिखाने के बाद आठ मिनट तक खड़े होकर दर्शकों ने तालियां बजायी थीं और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म आलोचकों ने इसकी शानदार समीक्षा की थी। इसके बाद यह इस पुरस्कार को पाने की दौड़ में सबसे आगे थी।