कैग ने उठाये बागवानी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
शिमला, 14 अगस्त (निस)
नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने प्रदेश बागवानी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बगैर बागवानी नीति के चल रहे विभाग ने एसडीआरएफ के 21.60 करोड़ की रकम का उपदान देने के लिए डाइवर्ट किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय प्रबंधन व बागवानी विकास में विभाग में कई खामियां हैं।
बागवानी विभाग के परफार्मेंस ऑडिट की रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि योजनाओं के क्रियान्वयन, प्लानिंग व वित्तीय प्रबंधन में विभाग में कई खामियां हैं। विधान सभा में शुक्रवार को प्रस्तुत की गई कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014-19 तक प्रदेश में बागवानी की कोई नीति विभाग ने नहीं बनाई। राज्य में प्रति एकड़ बागवानी उत्पादन गिर रहा है। विभाग को आबंटित की गई 12 फीसद रकम का उपयोग ही नहीं किया गया। 3 फीसद रकम को बैंकों में बचत खातों में जमा रखा गया।
नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विभाग के एक दर्जन प्रदर्शनी व प्रजनन फल संतति उद्यानों (पीसीडीओ) में से 31 फीसद में कोई पौधा नहीं। 4 में नर्सरी नहीं तथा 8 में सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
प्रदेश में बागवानी सेक्टर करीब 5 हजार करोड़ का है। इस सेक्टर के विकास के दावे राज्य की हरेक सरकार करती है। फिर चाहेव वह कांग्रेस की हो अथवा भाजपा की। सरकारों के दावों के विपरीत कैग ने अपनी रिपोर्ट में विभाग की पोल खोल कर रख दी है। यही नहीं मानसून सत्र के दौरान विधान सभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में तो विश्व बैंक वित्त पोषित प्रोजेक्ट की राशि में कटौती की बात भी सरकार ने स्वीकारी है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में राजस्व विभाग में एसडीआरएफ के करोड़ों के फंड के दुरुपयोग का खुलासा भी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एसईसी ने एसडीआरएफ फंड से 14.63 करोड़ की रकम निकाली। मगर उपायुक्तों ने इस राशि का उपयोग ऐसी जगहों पर किया जहां प्राकृतिक आपदा से कोई नुकसान ही नहीं हुआ था।