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गुरुकुल परंपरा से जोड़कर बेटियों के जीवन में भर रहे शिक्षा के रंग

09:11 AM Feb 12, 2024 IST
गुरुकुल परंपरा से जोड़कर बेटियों के जीवन में भर रहे शिक्षा के रंग
कैथल के लांबा खेड़ी दी गर्ल गुरुकुल में उपस्थित बेटियां। -हप्र
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ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 11 फरवरी
भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा को जीवित करने के लिए कलायत के लांबा खेड़ी गांव के पास दी गर्ल गुरुकुल बेटियों को शिक्षा देने में जुटा है। आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित गर्ल गुरुकुल शिक्षा के साथ साथ संस्कार देने का काम कर रहा है।
दी गर्ल गुरुकुल के संचालक एडवोकेट राजेंद्र कुमार और नीरज शर्मा ने बताया कि विशेष रूप से बेटियों की शिक्षा के लिए रिहाइशी गुरुकुल गांव लांबा खेड़ी में इसीलिए बनाया गया है कि कोई बेटी शिक्षा से वंचित न रहे। क्षेत्र की बेटियां शिक्षा के मामले में ना पिछड़े और उन्हें शिक्षा का अच्छा माहौल मिले।
बेटियों के सर्वांगीण विकास के लिए गुरुकुल में जहां आधुनिक व्यामशाला बनाई गई है। वहां सांइस लैब, शूटिंग रेंज, इंडोर स्टेडियम का इंतजाम किया हुआ है। गुरुकुल की एक खास बात यह भी है इंगलिश माध्यम होने के साथ-साथ पंजाबी व संस्कृत भाषा को भी महत्व दिया गया है। बेटियां दोपहर को भोजन के समय में मंत्रोच्चारण के बाद सुबह का नाश्ता व दोपहर का भेजन करती हैं। गुरुकुल में शिक्षा के माध्यम से संस्कारों से भी जोड़ने का काम किया जा रहा है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शहर से थोड़ा दूर
प्रदूषण रहित वातावरण में 7 एकड़ में बना कन्या गुरुकुल बेटियों के जीवन में शिक्षा के रंग भर रहा है।

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'' दी गर्ल गुरुकुल संचालक राजेंद्र कुमार बताते हैं कि आदर्श संस्कारों का बारीकी से बोध करवाना संस्थान का मुख्य ध्येय है। गुरुकुल में कक्षा 4 से लेकर कक्षा बारहवीं तक की शिक्षा दी जा रही है। शिक्षा के साथ-साथ बालिकाओं को खेलों, संस्कृति व संस्कारों से जोड़ना भी उनकी प्रमुखताओं में शामिल हैं। ''
-राजेंद्र कुमार, दी गर्ल गुरुकुल संचालक।

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