गुणवत्ता देख-परख कर ही खरीदें सेकंड हैंड सामान
इसमें दो राय नहीं कि सेकंड हैंड सामान सस्ता पड़ता है लेकिन ऐसे माल की खरीदारी में सावधानी बरतनी जरूरी है। जैसे गुणवत्ता पहले ही जांच लें। कार व मोबाइल आदि के मामले में सुनिश्चित करें कि चोरी का तो नहीं। रिटर्न पॉलिसी व रसीद आदि डॉक्यूमेंट भी विक्रेता से लेना न भूलें।
श्रीगोपाल नारसन
कई बार बजट की तंगी हो तो घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए मजबूरी में सेकंड हैंड सामान खरीदना पड़ता है,वहीं कभी-कभी बचत करने की गरज से लोग सेकंड हैंड सामान खरीद लेते हैं। दरअसल, हर व्यक्ति कम खर्च में अच्छी खरीदारी करना चाहता है। पैसे कम हों तो अधिकतर लोग सेकंड हैंड सामान खरीदने का मन बना लेते हैं। इससे उन्हें बेहद कम कीमत में अपनी पसंद व जरूरत का सामान मिल जाता है। पैसे बचाने के चक्कर में भी हम सेकंड हैंड सामान खरीदते हैं परन्तु उसकी गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती है,जितनी नए सामान की। जिस कारण उपभोक्ता के पैसे बर्बाद हो जाते हैं। किसी भी उपभोक्ता के साथ ऐसा न हो, इसलिए यह आवश्यक है कि सेकंड हैंड सामान खरीदते समय खास सावधानी बरतें।
खरीदारी से पहले तय करें सामान
जब हम सेकंड हैंड सामान खरीदते हैं तो दुकानों पर हमें कई चीजें पसंद आ जाती हैं और हम उन सभी चीजों को खरीद लेते हैं,भले ही उनकी आवश्यकता न हो। लेकिन ऐसा करके हम पैसे नहीं बचा रहे होते, बल्कि फालतू खर्च कर रहे होते हैं। दिमाग में पहले ही तय कर लें कि हमें क्या सामान लेना है और किस तरह का लेना है। जैसे हमें सेकंड हैंड सोफा चाहिए तो वह कैसा होना चाहिए- सोफा-कम-बेड या फिर एल शेप्ड सोफा या फिर फाइव सीटर सोफा। इस तरह जब पहले ही खरीदारी की बाबत सही निर्णय ले लेते हैं तो सही सामान खरीदना आसान हो जाता है।
गुणवत्ता की परख
सेकंड हैंड सामान में गुणवत्ता की गड़बड़ी होने की संभावना काफी हद तक रहती है। इसलिए, कोशिश यह होनी चाहिए कि हम जिस भी सामान को खरीदें उसकी गुणवत्ता परख लें। इसके लिए जब हम दुकान या शो रूम पर जाते हैं तो सामान को देखकर काफी हद तक उसकी गुणवत्ता के बारे में समझ में आ जाता है। सेकंड हैंड कार खरीदने से पहले उसे टेस्ट ड्राइव पर ले जाना अच्छा होगा। साथ ही, उसे खरीदने से पहले एक बार मैकेनिक या इंजीनियर से भी उसे चेक करवाना ठीक रहता है।
लिखित रिटर्न पॉलिसी
सेकंड हैंड सामान खरीदने पर दुकानदार हमें रिटर्न पॉलिसी भी देता है। जैसे अगर हम सामान खरीदते हैं और घर ले जाने के बाद वह हमारी उम्मीद के अनुसार नहीं पाया जाता है तो हम सीमित समय में उसे वापस कर सकते हैं। अकसर यह समय 15 दिन या एक महीने होता है। इसके बारे में दुकानदार से पहले से ही लिखित में ले लेना बेहद जरूरी है।
रसीद व गारंटी -वारंटी
सेकंड हैंड सामान खरीदते समय धोखाधड़ी होने की संभावना काफी अधिक रहती है। हमें कोई नुकसान न हो, इसलिए यह जरूर ध्यान दिया जाए कि हम जब भी कोई सेकंड हैंड सामान खरीदें तो उसकी कीमत की रसीद व गारंटी -वारंटी प्रपत्र जरूर लें। इससे अगर भविष्य में किसी तरह की परेशानी आती है तो हम आसानी से खरीदे गए सामान को वापस कर सकते हैं, रिपेयर करवा सकते हैं या बदल सकते हैं।
ऐसे सामान को न खरीदें
चोर बाज़ार में चीजें अच्छी और कम कीमत में मिल जाती हैं, यह सोचकर कभी-कभी हम चोरी का सामान खरीद लेते हैं। ऐसा करना अपराध है। वहीं किसी सेकंड हैंड की दुकान पर सामान खरीदने के लिए जब हम जाते हैं तो मूल बिल आदि मांग लेने चाहिए।
ये सामान तो नये ही खरीदें
सेकंड हैंड सामान की खरीदारी में कभी कैमरा नहीं ख़रीदना चाहिए। कई बार कैमरे के अंदर से कई चीजें ओरिजनल लेंस आदि को निकाल लेते हैं और पुराना लेंस कैमरे में लगा देते हैं। इसी तरह जब ऐसे कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है तो मालूम चलता है कि कोई स्विच या अन्य चीजें काम ही नहीं कर रही हैं। महिलाओं के लिए उपयोगी उत्पाद हेयर ड्रायर, लिपस्टिक सेट, पाउडर, स्प्रे आदि अन्य मेकअप किट को भी सेकंड हैंड के रूप में नहीं खरीदना चाहिए। मेकअप जैसी चीजों में मिलावट बहुत अधिक रहती है जिनके इस्तेमाल से त्वचा में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। वहीं कम कीमत में सेकंड हैंड मोबाइल खरीदकर घर लाते हैं तो बाद में मालूम पड़ता है कि मोबाइल की बैटरी बदली हुई है। कई बार चार से पांच दिनों के इस्तेमाल के बाद भी मोबाइल डेड हो जाता है। कभी-कभी सेकंड हैंड मोबाइल चोरी का भी होता है,ऐसे में हम मुसीबत में फंस सकते हैं। कुल मिलाकर सेकंड हैंड सामान खरीदने में अधिक सावधानी व सजग रहने की आवश्यकता है।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।