मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

मगर शर्म फिर भी उन्हें आती नहीं

07:04 AM May 11, 2024 IST
Advertisement

सहीराम

नहीं, पेन ड्राइव ले लो, पेन ड्राइव की हांक लगाता हुआ गली से कोई नहीं गुजरा जी। फिर भी पिछले दिनों कर्नाटक में पेन ड्राइव झोली भर-भरकर मिल रहे थे, टोकरियां भर-भरकर मिल रहे थे। नहीं किसी ने दुआ नहीं की थी कि झोली भर दे दाता। फिर भी मिल रहे थे। सीन बिल्कुल वही वाला था कि बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख। मांगने से नौजवानों को नौकरियां तो नहीं मिल रही थीं, पर बिन मांगे पेन ड्राइव खूब मिल रहे थे। वे पार्कों की बैंचों पर मिल रहे थे, वे बसों की सीटों पर मिल रहे थे।
वे यत्र-तत्र, सर्वत्र थे। सड़कों पर बिखरे पड़े थे। पार्कों में फैले पड़े थे। वे कहीं भी मिल सकते थे-सिनेमा हाल में मिल सकते थे, वे किसी रेस्तरां में मिल सकते थे। वे कोई एक-आध क्लिप वाली सीडी नहीं थे। वे तो हजारों सिर वाले राक्षस की तरह हजारों क्लिपों, रीलों, वीडियो वाले पेन ड्राइव थे। इन्हें किसी ने उस तरह छुप-छुपकर नहीं बनाया था, जैसे छुप-छुपकर वो वाली सीडियां बनायी जाती हैं। उन्हें किसी ने गोपनीय ढंग से नहीं बनाया था, कि जिसका वीडियो बन रहा है, उसे पता ही न चले और पता चले तो तब चले जब वह सार्वजनिक हो जाए। सीडियों का यही चरित्र होता है।
उन्हें किसी साजिश के तहत नहीं बनाया गया था। उन्हें बनाने वाला तो वह खुद ही था, जिसके वे वीडियो थे। अगर कोई साजिश थी तो वह खुद उसी ने रची थी। साजिश उन महिलाओं को ब्लैकमेल करने की थी जिनका वह यौन शोषण कर रहा था। वह विलेन था, लेकिन अपने को हीरो समझता था। वह बेशक राक्षस था, पर अपने को हीरो समझकर ही उसने यह वीडियो बनाए थे। उन्हें किसी गोपनीय ढंग से नहीं बनाया गया था, बल्कि धड़ल्ले से बनाया गया था, छाती ठोक कर बनाया गया था। उन्हें मर्दानगी दिखाने के लिए बनाया गया था। लेकिन जब वह भागा तो कायरों की तरह भागा। उसके शोषण का शिकार महिलाएं तो सामने आयीं, पर वह छुप गया। विदेश भाग गया।
पहले अभी तक विजय माल्या और नीरव मोदी देश का पैसा लेकर विदेश भागे थे। अब यह राक्षस भाग गया। उन्होंने देश का पैसा लूटा। इसने महिलाओं की नहीं देश की इज्जत लूटी। देश अभी मणिपुर की घटनाओं की शर्म से उबरा भी नहीं था कि इस राक्षस ने उसे फिर शर्मसार कर दिया। लेकिन देश चाहे कितना ही शर्मसार होता रहे। नेता कतई शर्मसार नहीं होंगे। इसीलिए तो मणिपुर वाले तर्क लौट आए हैं। तब भी सवाल यही उठाया गया था कि वीडियो अभी क्यों? और अभी भी सवाल यही उठाया जा रहा है कि वीडियो अभी क्यों? अब भी छाती कूट-कूटकर मर्दानगी दिखाई जा रही है कि दोषी हम नहीं, तुम हो। और शर्म तो हमें बिल्कुल भी नहीं आती।

Advertisement

Advertisement
Advertisement