नयी सरकार के समक्ष ज्वलंत सुरक्षा चुनौतियां
डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव
नवगठित एनडीए सरकार में राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री बनाया गया है। वे पिछली सरकार में भी रक्षा मंत्रालय का कामकाज देख रहे थे। रक्षा मंत्री के तौर पर दूसरे कार्यकाल में राजनाथ सिंह के लिए अग्निपथ योजना की समीक्षा करके उसे आकर्षक बनाने का काम अत्यन्त सामयिक एवं ज्वलंत है। इसके अलावा सैन्य सुधारों को लागू करना, इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड का गठन, हथियारों के आयात में कमी करना, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाना, पाकिस्तान व चीन सीमा पर बने तनाव से निपटने के रास्ते निकालने की जिम्मेदारी के साथ ही रक्षा बजट अधिक करवाना है।
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने को लेकर युवाओं ने शुरुआत से ही नाराजगी जाहिर कर दी थी। यह बात अलग है कि बाद में नवयुवक इस योजना में भर्ती होने लग गए थे। सेवानिवृत्त सैनिकों ने इस योजना का विरोध करते हुए सवाल उठाए थे। इसके अलावा कुछ विपक्षी दलों ने अग्निपथ योजना का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। उल्लेखनीय है कि इस योजना में युवाओं को चार साल के लिए भर्ती किया जाता है। इस योजना के 25 प्रतिशत जवानों को ही स्थाई होने का अवसर मिलेगा। शेष जवानों को अन्य क्षेत्रों में रोजगार तलाशना पड़ेगा। स्थाई सैनिकों की तुलना में इन्हें केवल 30 दिन की छुट्टी मिलती है। अब इस योजना में सुधार को लेकर सेना के भीतर से ही कुछ सुझाव मिले हैं। इसलिए इसकी समीक्षा किए जाने की बात चल रही है। रक्षा मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि अग्निपथ योजना में यदि बदलाव की आवश्यकता हुई तो वे करने को तैयार हैं।
सैनिक सुधार करना सरकार के एजेंडे में शामिल है। सैन्य सुधारों में सबसे प्रमुख सेना के तीनों अंगों थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना को मिलाकर एकीकृत थिएटर कमांड का गठन करना है। इसमें नए सेनाध्यक्ष की भूमिका प्रमुख होगी। विदित हो कि मोदी सरकार के नेतृत्व में वर्ष 2019 में थिएटर कमांड बनाए जाने का निर्णय हुआ था। उसी समय जनरल बिपिन रावत को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया था। इस योजना का उद्देश्य छोटी-बड़ी लड़ाइयों के समय अपने निश्चित सामरिक लक्ष्यों के साथ विशिष्ट शत्रु आधारित थिएटरों में संयुक्त अभियानों के लिए थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना को एकीकृत करना है। भारतीय सशस्त्र बल थिएटर कमांड के गठन की तैयारियों को पूरा करने में लगे हुए हैं। वर्ष 2019 से अब तक की अवधि में निचले स्तर पर सेवाओं को एकीकृत करने के कुछ प्रयास किए गए हैं। बीते पांच वर्षों में थिएटर कमांड के लिए उत्तम संभव मॉडल पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अनेक मसौदे तैयार किए गए। अब सरकार गठन के बाद इस पर विचार किए जाने की उम्मीद है।
मार्च, 2024 में स्वीडन स्थित स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) यानी सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत संसार के शीर्ष हथियार आयातक देशों में शामिल है। यह संस्था दुनियाभर में हथियारों की खरीद-फरोख्त पर नजर रखती है और प्रतिवर्ष अपनी रिपोर्ट जारी करती है। सिपरी की रिपोर्ट में बताया कि भारत ने 2019 से 2023 तक पांच वर्षों में दुनिया से 9.8 फीसदी हथियार आयात किए। आवश्यक है कि हथियारों के मामले में दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम की जाए। यह कार्य कैसे किया जाए इससे रक्षा मंत्री को निपटना होगा।
बीते दो दशकों से मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया पर जोर दिया है। इसी अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता को काफी बढ़ावा दिया गया है। परिणाम यह हुआ कि भारत के रक्षा उद्योग में सैन्य साजो-सामान का उत्पादन काफी बढ़ गया है। स्वदेशी तकनीक से बनी मिसाइलों, हल्के लड़ाकू विमान तेजस, ध्रुव हेलीकॉप्टर, स्कॉरपियन श्रेणी की पनडुब्बियों ने देश के रक्षा क्षेत्र को काफी आगे बढ़ा दिया है। इस कारण भारत के रक्षा निर्यात में काफी बढ़ोतरी हो गई। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का सैन्य निर्यात 21083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। फिलीपींस, पोलैण्ड तथा अफ्रीकी देशों ने भारत निर्मित मिसाइलों, विमानों और हेलीकॉप्टरों की खरीद में रुचि दिखाई है। जरूरत है, भारत का रक्षा मैन्युफैक्चरिंग इतना आगे बढ़े कि रक्षा आयात कम किया जा सके।
रक्षा मंत्री को पाकिस्तान व चीन की सीमा पर मिलने वाली चुनौतियों से निपटने की सैन्य तैयारियां भी बढ़ानी हैं। जहां पाकिस्तान भारतीय सीमा के नजदीक किसी भी युद्ध संबंधी स्थिति से निपटने के लिए चीन की मदद से बंकर तैयार करने के साथ-साथ अत्याधुनिक हथियार ले रहा है वहीं दूसरी तरफ चीन के साथ भी तनाव बना हुआ है। वर्ष 2020 में पैदा हुए तनाव के बाद से अभी तक 21 दौर की वार्ता के बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति बहाल नहीं हुई। इसीलिए चीन व पाकिस्तान की सीमा पर जवान डटे हुए हैं। रक्षा मंत्री के लिए एलएसी तथा एलओसी पर शांति व स्थिरता बनाए रखने की चुनौती होगी।
देश की रक्षा चुनौतियों से निपटने लिए धन की अधिक आवश्यकता होती है। रक्षा मंत्री के लिए वित्त मंत्री से अधिक रक्षा बजट की मांग पूरी करवाना भी विशेष कार्य रहेगा। भारत का रक्षा बजट रक्षा चुनौतियों के हिसाब से हमेशा कम रहा है। भारत का रक्षा बजट 74 अरब डॉलर के लगभग है। दुनिया के प्रमुख देशों के रक्षा बजट के हिसाब से भारत चौथे नम्बर पर है। चीन का रक्षा बजट भारत से तीन गुना से ज्यादा है। अधिक रक्षा बजट होने पर ही भारत अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण के बाद अन्य देशों के बराबर पहुंच सकेगा।