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‘बुलडोजर एक्शन’... पीड़ित ही अदालत आ सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

06:47 AM Oct 25, 2024 IST

शीर्ष अदालत ने कहा- हम भानुमति का पिटारा नहीं खोलना चाहते

नयी दिल्ली, 24 अक्तूबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के प्राधिकारियों पर संपत्तियों के ध्वस्तीकरण संबंधी उसके आदेश की अवमानना ​​का आरोप लगाया गया था। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कथित कृत्य से जुड़ा नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘हम भानुमती का पिटारा नहीं खोलना चाहते। तोड़फोड़ से प्रभावित लोगों को अदालत में आने दें।’ याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि हरिद्वार, जयपुर और कानपुर में प्राधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवमानना ​​करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उसकी अनुमति के बिना ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा। वकील ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट था कि इस अदालत की अनुमति के बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।’ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि याचिकाकर्ता तीसरा पक्ष हैं और उन्हें तथ्यों की जानकारी नहीं है, क्योंकि वह केवल फुटपाथ पर अतिक्रमण था जिसे अधिकारियों ने हटाया था। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने मीडिया की कुछ खबरों के आधार पर अदालत का रुख किया।
पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता इस कार्रवाई से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि तीन में से दो मामलों में प्रभावित व्यक्ति जेल में हैं। हालांकि, पीठ ने कहा कि जेल में बंद प्रभावित व्यक्तियों के परिवार के सदस्य अदालत का रुख कर सकते हैं।
पिछले दिनों न्यायालय ने संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए अखिल भारतीय दिशा-निर्देश तैयार करने का सुझाव दिया था और कहा था कि सड़क के बीच में स्थित धार्मिक संरचनाओं- चाहे वह दरगाह हो या मंदिर, को हटाना होगा, क्योंकि जनहित सर्वोपरि है। न्यायालय ने कहा था कि किसी व्यक्ति का आरोपी या दोषी होना संपत्तियों को ध्वस्त करने का आधार नहीं है।

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