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‘बुलडोजर एक्शन’... देशभर में होगा एक नियम, फैसला सुरक्षित

06:53 AM Oct 02, 2024 IST

नयी दिल्ली, 1 अक्तूबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह संपत्तियों को ध्वस्त करने (बहुचर्चित ‘बुलडोजर एक्शन’) के लिए अखिल भारतीय स्तर पर दिशा-निर्देश तय करेगा। कोर्ट ने कहा कि सड़क में बने किसी भी धार्मिक ढांचे को, चाहे वह दरगाह हो या मंदिर हटाना होगा क्योंकि जनहित सर्वोपरि है। यह देखते हुए कि केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति आरोपी है या यहां तक ​​कि दोषी भी है, संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। पीठ ने कहा, ‘हम जो भी निर्देश जारी करेंगे, वह पूरे भारत में लागू होगा।’
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए अनधिकृत निर्माण को, चाहे उसका धर्म या आस्था कुछ भी हो, हटाया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि अनुमति के बिना संपत्तियों को ध्वस्त नहीं करने का आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक कि वह मामले का फैसला नहीं कर लेती। पीठ ने कहा, ‘हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं। नियम पूरे देश के लिए बनेंगे। किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं।’ शीर्ष अदालत जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विभिन्न राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी कि दंगों और हिंसा के मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को और ध्वस्त न किया जाए।
सुनवाई की शुरुआत में, यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सही संकेत दिया है कि न्यायालय पूरे देश के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा। पीठ ने पूछा, 'यदि किसी को दोषी करार दिया गया हो, तो क्या यह संपत्ति ध्वस्तीकरण का आधार हो सकता है?' मेहता ने जवाब दिया, 'ऐसा नहीं हो सकता।'
अतिक्रमण को कोई संरक्षण नहीं शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, फुटपाथों, सरकारी भूमि, जंगलों, जल निकायों और ऐसे ही किसी भी अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगी। पीठ ने कहा, ‘हम सुनिश्चित करने का ध्यान रखेंगे कि अतिक्रमण करने वालों की मदद न हो।’
10-15 दिन का समय देकर करें कार्रवाई सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस पंजीकृत डाक के माध्यम से मालिकों को भेजे जाने चाहिए और इसे ऑनलाइन पोर्टल पर भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए। पीठ ने सुझाव दिया कि ध्वस्तीकरण के आदेश और इसके कार्यान्वयन के बीच 10 या 15 दिनों का समय होना चाहिए ताकि लोग वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें।

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