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बूंदों के बिखरने में जीवन की कोंपलें

06:54 AM Jul 17, 2023 IST
बूंदों के बिखरने में जीवन की कोंपलें
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रेनू सैनी

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सावन में इन दिनों उत्तर भारत खूब भीग रहा है। मंज़िल फिल्म का एक बहुत ही खूबसूरत गीत है, ‘रिमझिम गिरे सावन, सुलग-सुलग जाए मन।’ इस गीत को सावन में सुनने का आनंद ही कुछ और है। हाल ही में एक वृद्ध जोड़े ने इस गीत का हुबहू फिल्मांकन किया है और इस वीडियो को भी दुनिया में अनेक लोगों ने पसंद किया है। इससे साबित होता है कि उम्र कोई भी हो, लेकिन जब-जब सावन आता है, तब-तब मन पावस होकर खिल उठता है, झूम उठता है, तरंगें गाने लगता है। वर्षा प्रकृति से लेकर विश्व के हर प्राणी को जीवन प्रदान करती है। वर्षा में जहां पेड़-पत्ते निखर उठते हैं, वहीं अनेक नये जीव-जंतु भी पनपते हैं और अपने जीवन को भोगते हैं।
क्या आपने कभी आसमान से उतरती बूंदों को हाथ में लेकर देखा है, उनका स्वाद चखा है, उनके आकार को ध्यान से देखा है। बूंदें गोल-गोल होती हैं क्यों? पृथ्वी गोल है, रोटी गोल है, रुपया गोल है। कहने का तात्पर्य है कि हर महत्वपूर्ण चीज़ गोल है। बूंदें गोल होने का वैज्ञानिक कारण है-गुरुत्वाकर्षण। गुरुत्वाकर्षण के कारण सबसे न्यूनतम आकार गोलाकार होता है। इसलिए जैसे-जैसे वर्षा का पानी पृथ्वी के पास आता है वो गोल आकार की हो जाती है। छोटी बारिश की बूंदें जब कंक्रीट के फर्श पर गिरती हैं या पत्तों पर ढुलक जाती हैं तो उनके गिरने की आहट हृदय को एक सुकून प्रदान करती है। बारिश की गोल बूंदों का हमारे जीवन में मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत गहरा महत्व है। ये गोल बूंदें कहती हैं कि कुछ भी अमर नहीं होता। सुंदर से सुंदर प्राणी और वस्तु भी नष्ट हो जाती है। लेकिन हां, जब तक उसका अस्तित्व है तब तक उसकी सुंदरता को महसूस करना चाहिए और उसके साथ आनंद उठाना चाहिए। बूंदें गोलाकार बुलबुले में बदल कर बेहद हसीन लगती हैं लेकिन केवल कुछ सेकंड के लिए। इसके बाद वे सारी गोल बूंदें एक साथ मिल जाती हैं और धरा की गहराई में समा जाती हैं। धरती को नमी प्रदान करती हैं ये गोल बूंदें, जिनसे जीवन सरस हो कर मुस्कराता है। उनके साथ मुस्कराती है पूरी प्रकृति।
क्षणिक लघु जीवन प्राप्त करने वाली बूंदें प्रत्येक व्यक्ति को यही संदेश देती हैं कि उतार-चढ़ाव, गिरना-चढ़ना व्यक्ति के जीवन के अनिवार्य पड़ाव हैं। इन पड़ावों को सहज भाव से स्वीकार कर परोपकार के साथ अपने जीवन को जिएं। गोल बूंदें पृथ्वी पर पड़कर जब नष्ट होती हैं तो वे प्रकृति के लिए भोजन एवं जीवन प्रदान करती हैं। यही जीवन का सत्य है। जब एक चीज नष्ट होती है तभी दूसरे का निर्माण होता है।
टैरी फॉक्स का जन्म 28 जुलाई, 1958 को कनाडा में हुआ था। वह बचपन से ही खेल-कूद में बेहद सक्रिय था। गोल-मटोल टैरी धीरे-धीरे बड़ा होता रहा। अठारह साल की आयु में एक दिन टैरी को कुछ कमजोरी-सी महसूस हुई। डॉक्टर ने जांच करने के बाद टैरी से कहा, ‘यंग ब्वॉय, यकीन नहीं होता कि इतनी कम उम्र में तुम कैंसर से पीड़ित हो।’ यह सुनकर टैरी भौचक्का हो गया। वह तो भविष्य में एक सर्वश्रेष्ठ धावक बनने के सपने देखता था।
एक दिन काले-काले बादल आसमान में घिर आए थे। कुछ ही देर में बूंदें ज़मीन पर गिरने लगीं। उस दिन टैरा ने उन बूंदों को करीब से देखा। जैसे ही एक गोल बूंद पृथ्वी पर गिरती, बहुत ही आकर्षक और मन को मोह लेती। लेकिन जैसे ही टेरी बूंद को हाथ लगाता, वैसे ही वह फूट कर अन्य बूंदों की धारा में बह जाती। उस दिन उन बूंदों ने टैरी को यह संदेश दिया कि जीवन एक बुलबुला है लेकिन यदि जीवनरूपी बुलबुले को फूटने से पहले कुछ ऐसा कर दिया जाए कि दुनिया याद रखे तो फिर वह जीवन अमर हो जाता है।
बस उस दिन उसने निर्णय कर लिया कि वह लोगों के मन में संकल्प की ज्योति जगाकर मृत्यु को प्राप्त होगा। टैरी के शरीर में कैंसर बढ़ता गया और डॉक्टरों को उसकी दांई टांग काटनी पड़ी। दायां पैर कटने के बाद भी टैरी के हौसले पस्त नहीं हुए बल्कि और अधिक बुलंद हो गए। उसने कैंसर पर शोध के लिए रुपये जुटाने के उद्देश्य से ‘मैराथॉन आॅफ होप’ नामक कनाडा के आरपार की दौड़ करने का निर्णय लिया। एक पैर कटने के कारण वह दाईं तरफ नकली टांग लगाता और दिन भर में घिसट-घिसट कर वह 24 मील का फासला तय कर लेता। वह इस तरह 143 दिन तक दौड़ने में सफल रहा। उसने सेंट जॉन्स, न्यू फाउंडलैंड से थंडर बे, आॅन्टेरियो तक 3,339 मील पार किए। एक दिन ज्यादा तबीयत खराब होने पर डॉक्टर ने टैरी से कहा कि उसे अपनी दौड़ को छोड़ना होगा क्योंकि कैंसर फेफड़ों तक पहुंुच चुका है। इसके कुछ ही महीने बाद टैरी फॉक्स की मृत्यु हो गई। उस समय उसकी आयु मात्र 22 साल थी।
अपने 22 साल के जीवन में ही टैरी अमर हो गया। आज भी वार्षिक टैरी फॉक्स दौड़ें कनाडा और विश्व के अन्य हिस्सों में आयोजित की जाती हैं। इन दौड़ों का उद्देश्य कैंसर के शोध के लिए रुपया जुटाना है।
इस सावन में बारिश की गोल बूंदों को अपने हथेली पर लीजिए, उन्हें ध्यान से देखिए और फिर अपने जीवन में कोई ऐसा संकल्प कीजिए जो आपके जीवन को अमर कर दे।

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