बजट ब्रीफ
34 करोड़ से आएंगी नयी ईवीएम
नयी दिल्ली (एजेंसी) : हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव की देनदारियां निपटाने के लिए कानून मंत्रालय के लिए बजट में 1000 करोड़ रुपये के प्रावधान किये गये हैं। फोटो पहचान-पत्र जारी करने में हुए व्यय में केंद्र की हिस्सेदारी के भुगतान को लेकर 404 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। मंत्रालय को अलग से 34 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जिससे निर्वाचन आयोग नयी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) खरीद सके और पुरानी मशीनों को नष्ट कर सके। ईवीएम को 15 साल तक ही कायम रखा जा सकता है, उसके बाद इसे निर्वाचन आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों की ओर से जारी प्रोटोकॉल के अनुसार नष्ट कर दिया जाता है।
गंगा पुनरुद्धार के लिए ज्यादा राशि
नयी दिल्ली (एजेंसी) : जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार विभाग के लिए आवंटित कुल बजट 30,233.83 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले वर्ष के 19,516.92 करोड़ रुपये के आवंटन से 55 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित बजट में विशेष रूप से प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं और नमामि गंगे मिशन-2 के लिए आवंटन में वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट की घोषणा करते हुए कई राज्यों में बाढ़ नियंत्रण उपायों और सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ाने के लिए 11,500 करोड़ रुपये की व्यापक वित्तीय सहायता योजना की घोषणा की। सीतारमण ने कहा, ‘बिहार लगातार बाढ़ का दंश झेलता रहा है, जिनमें से अधिकतर देश के बाहर से आने वाली नदियों की वजह से आती हैं। नेपाल में बाढ़ नियंत्रण संरचनाएं बनाने की योजना अभी आगे नहीं बढ़ी है।’
शेयर बायबैक से मिली राशि टैक्सेबल
नयी दिल्ली (एजेंसी) : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि एक अक्तूबर से शेयरों की पुनर्खरीद पर शेयरधारकों को मिलने वाले डिविडेंट के समान कर लगाया जाएगा। यह एक ऐसा कदम जिससे निवेशकों पर कर का बोझ बढ़ जाएगा। इन शेयरों को हासिल करने के लिए शेयरधारक जिस राशि का भुगतान करेंगे, उसे उनके पूंजीगत लाभ या हानि की गणना में जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इक्विटी के लिए मैं प्राप्तकर्ता के हाथों में शेयरों की पुनर्खरीद से हुई आय पर कर लगाने का प्रस्ताव करती हूं।’ यह प्रस्ताव है कि कंपनियों के शेयरों की पुनर्खरीद से होने वाली आय को प्राप्तकर्ता निवेशक को मिले डिविडेंट के रूप में मानकर कर लिया जाए। वर्तमान व्यवस्था के तहत इसे कंपनियों को हुई अतिरिक्त आमदनी मानकर इस पर आयकर लगाया जाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार के इस कदम से निवेशकों पर बोझ बढ़ सकता है। इसके अलावा पुनर्खरीद में कमी आ सकती है।