मेडिकल फैकल्टी में अनुबंध आधार पर की जा रही भर्तियों का बसपा ने जताया विरोध
भिवानी, 8 दिसंबर (हप्र)
हरियाणा सरकार द्वारा मेडिकल फैकल्टी के पदों पर नियमित भर्तियों की बजाय अनुबंध आधार पर नियुक्तियां किए जाने से अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के अधिकारों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
हरियाणा में मेडिकल फैकल्टी की भर्तियों में अनुबंध आधारित प्रणाली लागू करने से आरक्षण की नीति पर संकट मंडरा रहा है, जिस ओर भाजपा सरकार को गंभीरता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यह बात बसपा प्रदेश प्रभारी कृष्ण जमालपुर ने प्रेस को जारी ब्यान में कही। उन्होंने कहा कि भर्ती नीति में आरक्षण का प्रावधान तो है, लेकिन इसके तहत एक शर्त जोड़ी गई है कि यदि आरक्षित वर्ग का उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होता है तो उन पदों को अनारक्षित श्रेणी से भरा जा सकता है। इस प्रावधान का अनुबंध आधारित भर्तियों में व्यापक रूप से दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि अनुबंध आधारित नियुक्तियों में न केवल आरक्षित वर्गो के उम्मीदवारों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही, बल्कि आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्थाओं को भी कमजोर किया जा रहा है।
बसपा प्रदेश प्रभारी ने कहा कि वे भाजपा सरकार से मांग करते हैं कि सुपरस्पेशिएलिटी पदों में आरक्षण सुनिश्चित किया जाए, सरकार द्वारा सभी प्रकार के पदों को अनुबंा प्रणाली की बजाए नियमित प्रक्रिया के माध्यम से भरा जाए, हरियाणा के सभी मेडिकल कॉलेजों और प्रस्तावित नए मेडिकल कॉलेजों में नियमित भर्तियां की जाएं, मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के रिक्त पदों को नियमित भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से भरा जाए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि ऐसी भर्ती नीतियां बनाई जा रही हैं, जो समाज के वंचित वर्गो को उनके अधिकारों से वंचित कर रही हैं।