Ratan Tata passed away टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर ( एजेंसी)
भारत के प्रमुख उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का बुधवार को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। टाटा समूह ने देर रात एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। रतन टाटा, जिन्होंने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, एक दूरदर्शी और प्रेरणास्रोत के रूप में याद किए जाएंगे।
— Tata Group (@TataCompanies) October 9, 2024
टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रतन टाटा ने कई बड़े अधिग्रहण किए, जिनमें ब्रिटिश स्टील निर्माता कोरस और प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल ब्रांड जगुआर लैंड रोवर शामिल हैं। इन कदमों से टाटा समूह को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मजबूत पहचान मिली। रतन टाटा के नेतृत्व में समूह ने टाटा नैनो जैसी परियोजनाएं भी शुरू कीं, जिसे दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में पेश किया गया था।
उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी, स्टील, ऑटोमोबाइल, और उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हैं। उनकी उद्यमशीलता की सोच और समाज कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें न केवल उद्योग जगत में, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी आदर और सम्मान दिलाया।
रतन टाटा को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों से नवाजा गया था। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन ने टाटा समूह को देश के सबसे सम्मानित और सफल व्यावसायिक समूहों में से एक बना दिया।
टाटा समूह के बयान में कहा गया, "हमने एक महान नेता, मार्गदर्शक और दूरदर्शी व्यक्ति को खो दिया है। रतन टाटा के योगदान को सदैव याद किया जाएगा और उनकी विरासत हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।"
रतन टाटा (Ratan Tata) भारत के सबसे प्रमुख और सम्मानित उद्योगपतियों में से एक हैं। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वे टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व अध्यक्ष हैं, जो भारत की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी व्यापारिक समूहों में से एक है। रतन टाटा को उनके नेतृत्व, दूरदृष्टि और परोपकारी कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान टाटा समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई।
प्रारंभिक जीवन:
रतन टाटा का जन्म मुम्बई में हुआ। उनके पिता नवल टाटा (Naval Tata) और माता सोनू टाटा थीं। रतन टाटा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में हुई और इसके बाद उन्होंने अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम किया।
करियर:
रतन टाटा ने 1961 में टाटा समूह के साथ अपना करियर शुरू किया। शुरू में उन्हें टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम करना पड़ा। इस अनुभव ने उन्हें जमीनी स्तर की चुनौतियों को समझने में मदद की। 1991 में, जब जे.आर.डी. टाटा ने उन्हें टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया, उस समय समूह की कई कंपनियां आर्थिक रूप से कमजोर थीं। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने विविधीकरण किया और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों को वैश्विक स्तर पर खड़ा किया।
उन्होंने 2008 में प्रतिष्ठित ब्रिटिश मोटर कंपनी, जैगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) का अधिग्रहण किया और टाटा नैनो (Tata Nano) जैसी किफायती कार बाजार में उतारी, जो उस समय दुनिया की सबसे सस्ती कार मानी जाती थी।
परोपकारी कार्य:
रतन टाटा अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। वे टाटा ट्रस्ट्स के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में योगदान करते रहे हैं। रतन टाटा का मानना है कि व्यापार केवल मुनाफा कमाने के लिए नहीं होता, बल्कि समाज के लिए भी उत्तरदायी होना चाहिए।
सम्मान और पुरस्कार:
रतन टाटा को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2008 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण, जो देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, से नवाजा गया। इसके अलावा, उन्हें 2000 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
सेवानिवृत्ति:
रतन टाटा ने 2012 में टाटा समूह के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्ति ली। हालांकि, वे अब भी टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से समाजसेवा में सक्रिय हैं और अपने अनुभवों के जरिए युवा उद्यमियों को प्रेरित करते रहते हैं।
व्यक्तिगत जीवन
रतन टाटा एक बेहद सरल और निजी व्यक्ति माने जाते हैं। वे अपने जीवन को कम चर्चित रखना पसंद करते हैं और उन्होंने शादी नहीं की है। उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा समाज की भलाई और देश के विकास में योगदान देने के लिए समर्पित रहा है।
रतन टाटा के नेतृत्व और उनके योगदान ने भारतीय उद्योग और समाज को नई दिशा दी है। वे अपने ईमानदार और परोपकारी स्वभाव के कारण पूरे विश्व में सम्मानित हैं।