तोड़ना हर चक्रव्यूह...
प्रेरणा
एक लक्ष्य, दो साल/ तीन विषय, हज़ारों सवाल/
हर रोज़ सुनोगेhellip;यही समय है जान लगा दो/
पढ़ाई के अलावा सब कुछ भुला दो/
प्यारे बच्चे, जान लगा देना पर जान गंवाना नहीं।
बेशक डूबकर, मन लगाकर पढ़ो, उछल कूदकर, नाच गाकर पढ़ो।
दीवारों पर फ़ार्मूले फेंको, सपनों में आईन्स्टाइन को देखो,
फ़ोकस पर अड़े, लेंस हो जाओ, मानचित्र में जगह/
ढूंढते ढूंढते अपनी अलग जगह बनाओ,
लेकिन जोश में आकर इस घेरे से ही बाहर/
नहीं चले जाना है। यहीं से शुरू होगा असल इम्तिहान जीवन का,
भावना और संभावना में संतुलन बिठाना है।
स्थिर बने रहने का मूल मंत्र यहीं से समझोगे।
दुनिया शिखर की बात करेगी संघर्ष सिर्फ़ तुम देखोगे।
अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, आईआईटीयन या आईएएस/
जो भी बनोगे हंसते मुस्कराते ही तो अच्छे लगोगे
अभी तो जाने किन ख़्यालों में गुम हो/
मां बाप की सिर्फ़ आस ही नहीं आसमान भी तुम हो।
क्या हुआ जो रिज़ल्ट वाले दिन स्टेटस में/
तुम्हारी फ़ोटो लगाकर ना भी मुस्कुरा पाएंगे/
पर तुम्हें खुद में हारा हुआ कभी नहीं देख पाएंगे।
मांएं अपने जिगर के टुकड़ों की शरारतें देख कई साल छोटी हो जाती हैं।
पिता तुम्हें अपने से ऊंचा निकलते देख फूले नहीं समाते हैं/
बड़े बुज़ुर्गों का तो शुभ महूरत हो तुम कभी बूढ़ी आंखें पढ़ना/
उनकी हर डांट पर और ज़्यादा आगे बढ़ना/
और सबसे ख़ास बात- मन के ग़ुबार भी बाहर लाना,
कुछ बुरा लगे तो रोना, चिल्लाना।
सब अकेले झेल पाओ इतने बड़े नहीं हुए हो/
पर जी तोड़ मेहनत ना कर सको इतने छोटे भी नहीं हो/
वैसे मेहनत तो ज़िंदगी हर किसी से करवा ही लेती है।
जो ख़ुद नहीं कमाते उन्हें बचा खुचा देती है/
दुनिया की बातों के बल से खिंचकर धड़ाम नीचे मत गिरना/
भेदकर हर चक्रव्यूह नई पहचान बनाकर मिलना/
और ये जो कहते रहते हो ना कि अब मैं बच्चा नहीं रहा,
बिल्कुल यही साबित कर दिखाना है…कायर नहीं,
मज़बूत और ज़िम्मेदार बन कर सामने आना है।
सिर उठाकर देखो, ये धरती आकाश मदद को आतुर बड़े हैं
अवसर तरह तरह के तुम्हारे इंतज़ार में खड़े हैं/
और ये ना मिला तो वो पा लोगे/
बस खुद को जरा संभाले रखना तुम पत्थरों में से भी रास्ता बना लोगे।
ज्योत्सना कलकल