महिला की लापरवाही से दोनों किडनी निकाली, चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज
सोनीपत, 26 सितंबर (हप्र)
बहालगढ़ रोड स्थित निजी अस्पताल के चिकित्सक पर महिला की दोनों किडनी निकालने के मामले में लापरवाही का मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच मेडिकल बोर्ड से कराई गई थी। बोर्ड की जांच के बाद चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पीड़िता के पति ने अस्पताल प्रबंधन व घटना के समय ऑपरेशन थियेटर में नियुक्त स्टॉफ पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है।
राजेंद्र नगर निवासी आनंद ने सेक्टर-27 थाना पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी वीना की बाएं तरफ की किडनी में पथरी थी। पत्नी का उपचार बहालगढ़ रोड स्थित निजी अस्पताल में चिकित्सक गौरव सिंह रंधावा के पास चल रहा था। 27 अप्रैल को चिकित्सक गौरव सिंह रंधावा ने उन्हें बताया कि वीना रानी की बाएं तरफ की किडनी में पथरी होने की वजह से यह किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी है। किडनी को तुरंत ऑपरेशन कर निकालना पड़ेगा। ऐसा नहीं किया महिला की जान पर खतरा हो सकता है। उन्होंने चिकित्सक पर विश्वास कर वीना रानी को 29 अप्रैल को दाखिल करवा दिया था। इसके बाद 1 मई को सुबह वीना को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। दोपहर को ऑपरेशन थिएटर से बाहर लाया गया। चिकित्सक गौरव सिंह रंधावा ने उन्हें ऑपरेशन सफल होने की जानकारी दी थी। आनंद का कहना है कि इसके बाद में वह अपनी पत्नी से मिलने गए तो देखा कि वीना बेसुध थी। वह गौरव सिंह रंधावा के पास गए तो उनके सामने उनकी पत्नी की सभी रिपोर्ट दोबारा से देखी। रिपोर्ट देखने के बाद गौरव सिंह रंधावा ने उसके सामने दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा था कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। गलती से वीना की दोनों किडनी निकाल दी हैं। इसपर उसकी बहन मंजू ने डायल 112 पर काल कर इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। उन्होंने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि चिकित्सक गौरव सिंह रंधावा, ऑपरेशन थिएटर स्टॉफ और अस्पताल प्रबंधन ने जालसाजी और छल-कपट करके उसकी पत्नी की किडनी चुराने व उसको मारने की कोशिश की है।
मेडिकल बोर्ड से करवाई जांच
मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से नागरिक अस्पताल के डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड बनाया गया था। मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट में डॉक्टर की लापरवाही सामने आई है। जिसके बाद चिकित्सक पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
अस्पताल की तरफ से दिल्ली में दिलवाया था उपचार
महिला के परिजनों के रोष जताने के बाद निजी अस्पताल की तरफ से दिल्ली के एक नामी अस्पताल में महिला का उपचार कराया गया था। जिसमें 50 दिन बाद उपचार के बाद महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया था। जिसके बाद परिजनों ने सोनीपत में रोष जताया था। अस्पताल की तरफ से तब कहा गया था कि परिजनों ने महिला को किडनी देने की बात कही थी, लेकिन बाद में किडनी नहीं दी थी।