अपमान से वरदान
बात उन दिनों की है जब पंडित जसराज लाहौर में कुमार गंधर्व के लिए राग भीमपलासी पर तबला बजा रहे थे। वहां पं. अमरनाथ (उस्ताद अमीर ख़ान, इंदौर घराना के शिष्य) ने कुमार गंधर्व की आलोचना की तो पं. जसराज ने कुमार गंधर्व का पक्ष लिया। इस पर अमरनाथ जी भड़क गये और कहा, ‘जसराज! तुम चमड़ा पीटते हो, तबले तक सीमित रहो, तुमको राग के बारे में क्या मालूम?’ अगले मंच पर उनको तबला लेकर नीचे बिठा दिया और गायकों को ऊपर। बस उसी दिन पं. जसराज ने प्रण लिया कि जब तक गायन नहीं सीख लेते, बाल नहीं कटवाएंगे। सात साल तक अपने बड़े भाई के साथ कठिन तपस्या के बाद जब नेपाल नरेश ने उनकी गायकी पर गद्गद होकर सौ सोने की मुहरें न्योछावर करके उनको प्रणाम किया, तब उन्होंने अपने बाल कटवा लिये। जसराज अपने हर साक्षात्कार में उस घटना को अपने गायन के लिए वरदान मानते रहे।
प्रस्तुति : पूनम पांडे