अशरफगढ़ के टिंकू के शव को 4 दिन बाद मिली मुखाग्नि
जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 7 मार्च
अशरफगढ़ गांव के टिंकू के शव को 4 दिन बाद मुखाग्नि मिल पाई और वह भी डीसी मोहम्मद इमरान रजा की दखलंदाजी से। टिंकू की मौत जींद पुलिस के गले की फांस बनी हुई थी। उसकी 4 दिन पहले संदिग्ध मौत के बाद परिजनों का जींद के सिविल अस्पताल में शव को साथ लेकर धरना चल रहा था।
मामले के अनुसार गांव अशरफगढ़ निवासी टिंकू को 28 फरवरी को उपचार के लिए पीजीआई रोहतक में भर्ती करवाया गया था, जहां 3 मार्च को टिंकू की मौत हो गई थी। 4 मार्च को उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल लाया गया था।
परिजनों का कहना था कि पुलिस द्वारा 6 माह पहले दी गई थर्ड डिग्री से टिंकू की मौत हुई है। उनकी मांग पर 5 मार्च को मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम भी हो चुका था। उसी दिन शाम को एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों ने परिजनों को मांगों को लेकर आश्वासन दिया था। 6 मार्च को परिजनों ने कहा कि जो मांगें अधिकारियों को दी गई थीं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। परिजनों ने मांगें पूरी नहीं होने तक शव उठाने तथा शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था।
पुलिस ने ली राहत की सांस
बृहस्पतिवार शाम को गांव अशरफगढ़ के सरपंच राजेंद्र के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी डीसी मोहम्मद इमरान रजा से मिली। डीसी द्वारा आश्वासन दिए जाने पर परिजन शव को सिविल अस्पताल से उठाने और शव के अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए। शव का अंतिम संस्कार होने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली ।
यह थी परिजनों की मांग
परिजनों ने मृतक को 6 महीने पहले थर्ड डिग्री देने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या तथा एससी-एसटी एक्ट का मामला दर्ज करने, मामले की सीबीआई जांच, परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने, मृतक की पत्नी को स्थायी नौकरी देने तथा परिवार को सुरक्षा देने की मांग की थी।
''कमेटी के पांच लोगाें से बातचीत हुई थी। उनकी जो मांगें थीं, वे सरकार के पास भेज दी गई हैं। मांगें पूरी करवाने का प्रयास किया जाएगा। आर्थिक सहायता के लिए नियमों के अनुसार जो होगा, वह किया जाएगा।''
-मोहम्मद इमरान रजा, डीसी, जींद।