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ज्योति देहलीवाल
पुराने समय में जब शादी होती थी तब पूरे शरीर पर हल्दी लगाई जाती थी। आजकल तो सिर्फ़ शगुन के तौर पर ही लगाई जाती है। हल्दी लगाना भले ही औपचारिकता रह गयी हो, लेकिन असल में इसके कई धार्मिक, वैज्ञानिक कारण थे। हिन्दू धर्म के अनुसार शादी एक पवित्र बंधन है। जिसमें नए जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। इसमें भगवान विष्णु का विशेष स्थान होता है। इसलिए उनके आशीर्वाद के लिए उनका पसंदीदा पीला रंग और हल्दी का प्रयोग किया जाता है। पुराने जमाने में लोगों का मुख्य पेशा खेती होती थी। मेहनतकश लोगों के खेतों में काम करते वक्त कई बार शारीरिक विकार हो जाते थे, जैसे फोड़े फुंसियां आदि। इसलिए शादी से पहले उनके पूरे शरीर पर हल्दी लगाई जाती थी। हल्दी से टॉक्सिस तत्व बाहर आ जाते थे।
शादी से पहले ही हल्दी क्यों? असल में दो शरीरों के मिलन से किसी को भी कोई स्किन इंफेक्शन न हो, इसलिए हल्दी लगाई जाती थी। हल्दी प्राचीन समय से औषधीय के रूप में इस्तेमाल होने वाला मसाला है। इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी सेप्टीक और एंटी डिप्रेशन जैसे गुण होते हैं। हल्दी लगाने के बाद जब हम स्नान करते हैं तो हमारी स्किन भी डिटॉक्स होती है और डेड सेल्स निकल जाते हैं। इसलिए कई बार जन्मदिन या जनेऊ संस्कार के मौके पर भी बच्चों को हल्दी लगाने का रिवाज़ था। हल्दी लगाने से बॉडी रिलेक्स भी होती है। हल्दी अपनी ओर ऐसी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है जो जीवन में समृद्धि बनाए रखने में मदद करती है।
मन में ये सवाल भी आता है कि दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगने के बाद बाहर क्यों नहीं जाने देते? उन पर नकारात्मक ऊर्जा का असर न हो, इसलिए उन्हें अकेले बाहर जाने से मना किया जाता है। वैसे भी हल्दी लगने पर सूरज की तेज किरणों से स्किन काली पड़ सकती है। हल्दी के साथ तेल इसलिए लगाया जाता है ताकि शरीर में नरमी रहे। आज जो शरीर मे अकड़न है, जॉइंट पेन है उसका कारण क्या है? हम लोग तेल मालिश नहीं करते। हमारी स्किन ड्राई हो गई है। अगर हम अच्छी तरह समझकर अपने पुराने कुछ रीति-रिवाजों पर अमल करें तो उनसे फायदा ही होगा। हल्दी वाला दूध पीने की बात हो या फिर हल्दी लगाने की। ऐसे ही अनेक अन्य रिवाज भी हैं जिसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण छिपे हैं जो हमारे तन-मन को स्वस्थ रखते हैं।
साभार : ज्योतिदेहलीवाल डॉट कॉम