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ब्लॉग चर्चा

07:47 AM Jun 24, 2024 IST
ब्लॉग चर्चा
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गिरीश बिल्लोरे

क्या हमारे दिमाग और ब्रह्मांड के बीच कोई अंतर्संबंध है? ऐसे सवालों का जवाब उतना ही पेचीदा और रहस्यमय होगा जितना यह सवाल है। यह परम सत्य है कि हम सब इस ब्रह्मांड में रहते हैं। ब्रह्मांड में ऊर्जा का अक्षय एवं अनंत भंडार है। हमारी गैलेक्सी में लगभग 200 अरब तारे होने का अनुमान है। पूरे सिस्टम को समझें तो हमारा केवल पृथ्वी से ही संपर्क नहीं, बल्कि ब्रह्मांड से भी है। हम पृथ्वी निवासी अपनी भौतिक जीवन की समस्त ऊर्जा का दोहन ब्रह्मांड से ही करते हैं। प्राकृतिक तौर से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमारा शरीर एक यंत्र की तरह काम करता है। सरल शब्दों में अगर कहें तो ब्रह्मांड एक बैटरी है जिससे हम ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं। वैज्ञानिक प्रयोगों के पूर्व से ही भारतीय ज्योतिर्विज्ञान के ज्ञान से हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण की तिथियों का निर्धारण करना तथा नक्षत्र की स्थिति का आकलन करना सीख लिया था।
मुझे नहीं लगता कि हमारे पूर्वज किसी यंत्र के सहारे यह गणना करते होंगे। ब्रह्मांड में जितनी जानकारियां और ऊर्जा व्याप्त है, उसे ग्रहण करने के लिए सवा किलो वजन वाला दिमाग ही मशीन की तरह कार्य करता है। हमारे दिमाग की सक्रियता हमारी चेतना पर निर्भर है। यह दिमाग चेतना के माध्यम से ऊर्जा एवं संदेशों को ग्रहण करता है। वैज्ञानिक इस प्रश्न के जवाब को तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। ब्रेन डेड होने की स्थिति का अर्थ है कि हमारे मस्तिष्क से चेतना का अंतर्संबंध समाप्त हो जाना। मस्तिष्क के संचालन में केवल चेतना महत्वपूर्ण है।
दरअसल, मस्तिष्क प्राकृतिक वातावरण से ऊर्जा ग्रहण करने के लिए उपलब्ध ऊर्जा स्रोत का दोहन करता है। यदि हमें भूख लगी है तो मस्तिष्क आदेश देता है कि हम भोजन करें। हमें नींद आती है तब हम मस्तिष्क के आदेश पर सो जाते हैं। यह हमारी शारीरिक प्रक्रिया है जो चेतना द्वारा नियंत्रित मस्तिष्क के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त करके वही कार्य करती है जो मस्तिष्क आदेश देता है। मस्तिष्क एक ऐसा यंत्र है जो संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त ऊर्जाओं एवं तरंगों को प्राप्त करके उनका विश्लेषण करता है।
फिलहाल हम यह तय कर पाए हैं कि प्रजापिता ब्रह्मा, महर्षि भृगु, विश्वामित्र, वशिष्ठ तथा मयासुर ने मुख्य रूप से ब्रह्मांड से सूचनाएं प्राप्त कर सूचनाओं का विश्लेषण किया है। वे लोग यह कार्य इसलिए कर पाए हैं क्योंकि उनके मस्तिष्क चेतना के आदेश पर जो जानकारियां ब्रह्मांड से उन तक पहुंची।
साभार : संस्कारधनी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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