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ब्लॉग चर्चा

08:59 AM Feb 26, 2024 IST

गिरिजा कुलश्रेष्ठ

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चंद्रयान-3 की चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का जब सीधा प्रसारण किया जा रहा था, देश-दुनिया के लाखों लोग टकटकी लगाए हुए थे। पल-पल धड़कनें बढ़ रही थीं। शाम 6 बजकर चार मिनट पर जैसे ही विक्रम ने बड़ी कोमलता के साथ चांद की सतह पर कदम रखे तो रोम-रोम नर्तन करने लगा। भारत ही नहीं, पूरे देश-दुनिया में बसे प्रवासी भारतीय जयहिन्द का जयघोष करके झूम उठे थे। अविस्मरणीय ऐतिहासिक पल था। हर्ष की बात थी कि अभियान में हमारा बड़ा बेटा प्रशान्त लगातार सात वर्ष से जुड़ा हुआ था। मैंने कार्य के प्रति उसकी लगन और मेहनत को देखा है। चन्द्रयान-2 की तरह इस योजना निर्माण सम्पादन खास तौर पर सॉफ्ट लैंडिंग की कार्ययोजना में भी उसकी मुख्य भूमिका रही है।
मेरे लिये यह प्रसन्नता की बात तो है कि प्रशान्त देश के एक गौरवशाली संस्थान से जुड़ा है किन्तु विशेष और उल्लेखनीय बात यह है कि वह बिना किसी शोर या प्रचार किये अपना काम करता रहता है। अपनी सीट से उठकर कैमरे के सामने आना उसने बिल्कुल ज़रूरी नहीं समझा। जब बहू सुलक्षणा ने मैसेज किया कि एक बार तो सामने आएं तब कहीं सीट से उठकर आया। इस बार जबकि इतनी बड़ी सफलता देश के लिये एक उपलब्धि है। अभियान की हर टीम को अपेक्षा थी कि व्यक्तिगत न सही इसरो प्रमुख कम से कम चन्द्रयान-3 अभियान की हर टीम को प्रधानमंत्री जी से मिलवाते लेकिन कैमरे और मीडिया में ‘इसरो’ प्रमुख ही रहे या वे लोग जो इस अभियान में थे ही नहीं। इससे निश्चित ही लोगों को निराशा रही। बेशक कई लोग ऐसे भी हैं जिनके हाव-भाव से लगता है कि ये सिर्फ कैमरे में आने के लिए सारा जतन कर रहे हैं। कुछ नींव की ईंट भी होती हैं जिन्हें कोई देख नहीं पाता और कुछ लोग अपने काम से सीधे-सीधे पहचाने जाते हैं।
प्रशान्त के सामने मैंने भी सवाल उठाया कि पूरी टीम को तो मिलवाया ही जाना चाहिए था। मेरे सवाल पर प्रशांत ने कहा, ‘यह सही है कि उससे प्रोत्साहन मिलता लेकिन मम्मी हम अपना काम देश के लिये करते हैं, किसी को जताने के लिये नहीं। इसलिये कोई फ़र्क नहीं पड़ता। फोटो को लोग कितना याद रखेंगे, पता नहीं, पर काम हमेशा याद किया जाता है।’ तब मुझे प्रशान्त पर गर्व के साथ केदारनाथ अग्रवाल की यह कविता भी याद आई- ‘सबसे आगे हम हैं, पांव दुखाने में; सबसे पीछे हम हैं, पांव पुजाने में। सबसे ऊपर हम हैं, व्योम झुकाने में; सबसे नीचे हम हैं, नींव उठाने में।’
साभार : यह मेरा जहां डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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