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गुरुग्राम से भाजपा के मुकेश शर्मा पहलवान ने बागी साथी और कांग्रेस दोनों को एक साथ दी पटखनी

06:54 AM Oct 11, 2024 IST
मुकेश शर्मा, नवीन गोयल, मोहित ग्रोवर

विवेक बंसल /हप्र
गुरुग्राम, 10 अक्तूबर
कहते हैं कि अखाड़े के पहलवान जल्दी से हिम्मत नहीं हारते। भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक मुकेश शर्मा भी ऐसे ही असली पहलवान साबित हुए हैं जो दो बार तो बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन हार गए और तीसरा चुनाव गुरुग्राम से लड़ा तो जीत कर ही दम लिया।
मुकेश शर्मा का मुख्य मुकाबला भाजपा के बागी नवीन गोयल से हुआ। पिछले 5 वर्ष नवीन गोयल ने जमकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में लोगों की सेवा की। शुरू में यह अनुमान था कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने उमेश अग्रवाल के बाद सुधीर सिंगला को भी टिकट देकर विधायक बनाया था इस बार नवीन गोयल को टिकट मिल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नवीन गोयल ने जबर्दस्त तरीके से चुनाव लड़ा और 54570 वोट प्राप्त किए। मुकेश शर्मा को जहां 122615 मत प्राप्त हुए अर्थात 53.29 प्रतिशत, वहीं नवीन गोयल को 54570 अर्थात 23.72 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए।
इनकी तुलना में कांग्रेस के मोहित ग्रोवर को 46947 अर्थात 20.40% वोट प्राप्त हुए। मोहित ग्रोवर ने वर्ष 2019 में भी भाजपा के विजयी रहे विधायक सुधीर सिंगला के मुकाबले निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उन्होंने 48638 मत अर्थात 25.72 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। जिस कारण से ही कांग्रेस ने उन्हें इस बार यह मानकर चुनाव लड़वाया कि उनका खाता 50000 वोट से शुरू होगा। माना जा रहा था कि मोहित ग्रोवर को कांग्रेस की टिकट पर आसानी से भाजपा को धूल चटा देंगे लेकिन उनका चुनाव अभियान ठप होकर रह गया।

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इसलिये हारे मोहित ग्रोवर

ग्रोवर को टिकट मिलने से पार्टी के की नेता नाराज हो गए। हालांकि पहले कांग्रेस की हवा थी उसके बावजूद परिणाम विपरीत निकले। माना जा रहा है कि मोहित ग्रोवर ने सारी ताकत टिकट प्राप्त करने में लगा दी। वहीं पिछले 5 साल वे लगभग निष्क्रिय रहे, इस कारण से मतदाताओं में भी पहचान नहीं बन पाई। उसकी तुलना में चुनाव मुकेश शर्मा, नवीन गोयल के बीच घूम गया और परिणाम सबके बीच रहे। आखिर में बागी नवीन गोयल भाजपा उम्मीदवार से टक्कर लेते दिखाई दिए। नवीन गोयल ने पिछली पार्टी सरकार की जमाने में प्राप्त की गई शक्तियां इस्तेमाल की। घर-घर लोगों के काम करवाए। उनसे संपर्क किया वहीं मोहित ग्रोवर देरी से टिकट प्राप्त होने के बाद अपना जुगाड़ बिठाने में लगे रहे।
पार्टी के ही अपने नेताओं से समर्थन नहीं मिला। जो साथ थे वे धोखा दे गए। उन्हें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का भी खास आशीर्वाद प्राप्त नहीं हुआ। कांग्रेस के जिन नेताओं ने बादशाहपुर में ताकत झोंक रखी थी यहां पर नहीं रहे।
शुरू से ही उनके बारे में कहा गया कि उन्होंने लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी राज बब्बर के मांगने पर भी समर्थन नहीं दिया था उसके कारण से ही विधानसभा चुनाव में उन्हें राज बब्बर का भी आशीर्वाद प्राप्त नहीं हुआ। उनके अपने समुदाय के पंजाबी मतदाताओं और नेताओं ने भी साथ नहीं दिया। छुपकर साथ देने की बात कहते रहे असल में वे भाजपा के साथ रहे। फिर भी यह माना जाता है कि उन्हें जो वोट प्राप्त हुए हैं उनमें पंजाबी समुदाय के वोट ज्यादा हैं। मुकेश शर्मा की जीत के साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र में सीताराम सिंगल, उमेश अग्रवाल सुधीर सिंगला के बाद में चौथे भाजपा की विधायक बन गए हैं। शुरू में मुकेश शर्मा की टिकट मिलने के बाद भाजपा के कुछ ब्राह्मण नेता पार्टी छोड़ गए और कांग्रेस में शामिल हो गए चुनाव परिणाम से साबित हो गया कि उनका असर न ही कांग्रेस में पड़ा न भाजपा में।

‘बागी मैदान में न आते तो गुड़गांव की होती ऐतिहासिक जीत’

मुकेश शर्मा ने कहा है कि मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विधानसभा का विकास रहेगा। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में कूड़े, सीवेज लाइन और पीने के पानी का भी संकट कई कॉलोनी और मोहल्लों में बना हुआ है, जिन्हें ठीक करना मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी। मुकेश ने कहा कि अगर गुड़गांव विधानसभा में बागी चुनाव में नहीं आते, तो हरियाणा के इतिहास में मेरी आज तक की सबसे बड़ी जीत होती।

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मुकेश ने 2009 में लड़ा पहला चुनाव

गुरुग्राम विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर विजय दर्ज करने वाले मुकेश शर्मा पहलवान ने वर्ष 2009 में बादशाहपुर से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था और 15163 मत तथा दूसरी बार निर्दलीय 2014 में चुनाव लड़ा और 35297 वोट प्राप्त किए थे। वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो विभागीय हो गए और चुनाव लड़े पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। लेकिन बाद में फिर शामिल हो गए और इस बार गुरुग्राम विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की। उन्हें इस बार केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से भी टिकट मिली इसलिए केंद्र के अन्य नेताओं के साथ राव ने ही उनके लिए ज्यादा प्रचार किया।

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