BJP worker Rampal Kashyap : तपती गर्मी, कीचड़ भरी गलियां... 10 साल तक नंगे पांव चला ‘मोदी का सच्चा सिपाही’, PM ने खुद पहनाए जूते
कैथल/गुहला चीका, 14 अप्रैल (ललित शर्मा/जीत सैनी):
BJP worker Rampal Kashyap : राजनीति में समर्पण की कई कहानियां होती हैं, लेकिन कुछ दिल को छू जाती हैं। ऐसी ही कहानी है कैथल जिले के गांव खेड़ी गुलामअली के भाजपा कार्यकर्ता रामपाल कश्यप की, जो बीते 10 वर्षों से एक ही संकल्प लिए नंगे पांव चल रहा था। जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपने हाथों से जूते नहीं पहनाएंगे, तब तक कोई चप्पल नहीं पहनूंगा।
सोमवार को यमुनानगर में यह इंतजार खत्म हुआ। एक विशेष कार्यक्रम के दौरान जैसे ही प्रधानमंत्री को रामपाल की तपस्या और निष्ठा की जानकारी मिली, उन्होंने उसे मंच पर बुलाया। भावुक होते हुए खुद अपने हाथों से जूते पहनाए। यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक क्षण नहीं था। यह उस निस्वार्थ समर्पण का सम्मान था, जो एक साधारण कार्यकर्ता को असाधारण बना देता है।
2011 में लिया था संकल्प, 2025 में हुआ पूर्ण
रामपाल कश्यप ने 2011 में यह संकल्प लिया था कि जब तक नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनते, तब तक वह नंगे पांव रहेंगे। 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो रामपाल ने अपनी प्रतिज्ञा और ऊंची कर दी। उन्होंने कहा कि अब जब तक मोदी जी खुद मुझे जूते नहीं पहनाएंगे, तब तक मैं नंगे पांव ही रहूंगा।"
इन 10 वर्षों में नंगे पांव रहना सिर्फ शारीरिक कष्ट नहीं था, यह एक आस्था की यात्रा थी। तपती गर्मी, कड़कती सर्दी, कीचड़ भरी गलियों और पत्थर भरी राहों में भी रामपाल बिना चप्पल के चलता रहा। पार्टी के हर आयोजन में शामिल होता, कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाता, और हर मंच पर मोदी के नेतृत्व में अपनी अटूट आस्था को दोहराता रहा।
भावुक हुआ पूरा माहौल
जब मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बुलाकर अपने हाथों से जूते पहनाए, तो पूरा माहौल भावनाओं से भर गया। खुद मोदी मुस्कराए और बोले- "रामपाल जैसे समर्पित कार्यकर्ता ही भाजपा की असली ताकत हैं।" इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद सैकड़ों लोग भावुक हो उठे, कईयों की आंखों में आंसू थे।
रामपाल बोले- ‘मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान’
जूते पहनने के बाद रामपाल की आंखें छलक आईं। मैंने जो सोचा था, आज वो पूरा हुआ। मोदी जी से जूते पहनना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। यह सिर्फ मेरी जीत नहीं, उस विश्वास की जीत है जो एक सामान्य कार्यकर्ता के मन में अपने नेता के लिए होता है।
पत्र ने खोला प्रधानमंत्री कार्यालय का रास्ता
पूर्व विधायक और भाजपा के घुमंतू जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक कुलवंत बाजीगर ने 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर रामपाल के त्याग और तपस्या की जानकारी दी थी। उन्होंने आग्रह किया था कि इस अनूठे संकल्प को पूरा करने में प्रधानमंत्री स्वयं आगे आएं। इसी के बाद रामपाल को यमुनानगर कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया और वो ऐतिहासिक क्षण सामने आया।