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खरखौदा के गांवों में भाजपा को करनी होगी कड़ी मेहनत, शहर में बहेगा कांग्रेस प्रत्याशी का पसीना

10:52 AM May 10, 2024 IST
खरखौदा के गांवों में भाजपा को करनी होगी कड़ी मेहनत  शहर में बहेगा कांग्रेस प्रत्याशी का पसीना
सोनीपत के गांव खांडा में ताश खेलते ग्रामीण, दाएं भव्य स्मारक एवं बाबा बंदा सिंह बहादुर की प्रतिमा।
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
खांडा (सोनीपत), 9 मई
जी हां, खांडा वही गांव है, जिसकी अपनी आर्मी थी। इस आर्मी का नेतृत्व था वीर बैरागी बंदा बहादुर सिंह के हाथों में। बंदा बहादुर सिंह ने अपना पहला आर्मी हेडक्वार्टर 1709 में इसी गांव में बनाया था। गांव व आसपास के इलाके के युवाओं को ट्रेंड करके आर्मी बनाई गई। इसी आर्मी ने न केवल मुगल सल्तनत को चुनौती दी बल्कि सोनीपत की लड़ाई में मुगलों पर जीत हासिल की। तीन से भी अधिक सदी बाद इस गांव के युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। आलम यह है कि गांव के सैकड़ों युवा गार्ड की नौकरी करने को मजबूर हैं। कुछ होमगार्ड जवान हैं तो बाकी प्राइवेट कंपनियों में सिक्योरिटी गार्ड हैं। सोनीपत के अलावा नई दिल्ली जाकर यहां के युवा प्राइवेट नौकरी करते हैं। बेशक, सरकारी नौकरियां भी गांव में मिली हैं, लेकिन उनकी संख्या बेहद कम है। पूर्व विधायक पदम सिंह दहिया का भी यह पैतृक गांव है। सोनीपत संसदीय सीट के तहत खरखौदा विधानसभा क्षेत्र के अधीन आने वाला खांडा इस विधानसभा के चुनिंदा बड़े गांवों में शुमार है। गांव में बाबा बंदा बहादुर सिंह का भव्य स्मारक भी बनाया गया है। राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार के समय मिली ग्रांट से ही इस स्मारक का जीर्णोद्धार हुआ। गांव बड़ा होने की वजह से इसमें दो पंचायत हैं और दोनों के सरपंच भी अलग-अलग बनते हैं।
गांव के एक हिस्से में वाटर वर्क्स से पानी की आपूर्ति हो रही है। वहीं दूसरा हिस्सा पेयजल को तरस रहा है। गांव में सबसे बड़ा मुद्दा भी पानी का ही बना हुआ है। ग्रामीणों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि सरकार ने खांडा गांव में प्रदेश का पहला सशस्त्र बल तैयारी संस्थान बनाने का वादा किया था लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ। स्मारक निर्माण में अहम योगदान अदा करने वाले डॉ़ राज सिंह ने भी इस संस्थान को लेकर कोशिश की। पूर्व विधायक पदम सिंह दहिया संस्थान को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से भी मिले थे लेकिन फाइलों को खंगाला गया तो पता लगा कि ऐसा कोई प्रस्ताव था ही नहीं।
यूपीएससी से सेवानिवृत्त आजाद सिंह, श्रीभगवान, सतबीर सिंह, काला आदि ग्रामीणों का कहना है कि अगर यहां संस्थान बनता तो युवाओं को ट्रेनिंग के अवसर मिलते और उन्हें रोजगार भी हासिल होते। आजाद सिंह ने कहा – बाबा बंदा बहादुर सिंह ने जब सेना बनाई तो उन्होंने सबसे पहले सोनीपत में मुगलों की ट्रेजरी को निशााना बनाया। ट्रेजरी से लूटा गया पैसा सैनिकों में ही बांट दिया। ग्रामीणों का कहना है कि बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए सरकार को विशेष कदम उठाने चाहिएं।
खरखौदा गांव को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है। वर्तमान में यहां से जयवीर सिंह वाल्मीकि कांग्रेस के विधायक हैं। वे जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। सोनीपत सीट से भाजपा प्रत्याशी मोहनलाल बड़ौली को इस हलके के गांवों में तगड़ी मेहनत करनी होगी। ग्रामीण वोट बैंक और उनकी नाराजगी से पार पाना आसान नहीं होगा। हालांकि कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी के लिए भी राह इतनी आसान नहीं है। ब्रह्मचारी को कलानौर शहर में पसीना बहाना होगा। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खरखौदा विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। इससे पहले यह रोहट हलका था। 2009 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के जयवीर सिंह वाल्मीकि ने जीत हासिल की। वाल्मीकि 2014 में भी यहां से जीते और 2019 में भी उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि इस एरिया में जजपा का भी प्रभाव 2019 के चुनावों में देखने को मिला था। जजपा उम्मीदवार पवन खरखौदा ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था लेकिन अब यहां से जजपा के लोकसभा प्रत्याशी को वे कितना योगदान अपने हलके से दे पाएंगे, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा।
2019 में हुड्डा का दिया था साथ
यहां बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में सोनीपत लोकसभा सीट से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उनका मुकाबला उस समय भाजपा के निवर्तमान सांसद रमेश चंद्र कौशिक के साथ हुआ था। सोनीपत सीट के अंतर्गत सोनीपत जिला के छह हलकों – सोनीपत, राई, गन्नौर, खरखौदा, बरोदा व गोहाना के अलावा जींद जिले के तीन हलके – सफीदों, जींद व उचाना आते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक सात हलकों में जीत हासिल करके निकले थे और उन्होंने पूर्व सीएम को 1 लाख 65 हजार के लगभग मतों से शिकस्त दी थी। वहीं हुड्डा को महज दो हलकों – खरखौदा व बरोदा से ही लीड हासिल हुई थी। खरखौदा से हुड्डा को 53 हजार 313 और कौशिक को 45 हजार 996 मत मिले थे। यानी हुड्डा इस हलके से 7 हजार 317 मतों से विजयी हुए थे।

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