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हुड्डा के गढ़ सोनीपत में कमल खिलाने में कामयाब रही भाजपा

10:48 AM Oct 09, 2024 IST
हुड्डा के गढ़ सोनीपत में कमल खिलाने में कामयाब रही भाजपा
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हरेंद्र रापड़िया/ हप्र
सोनीपत, 8 अक्तूबर
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सोनीपत जिले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का किला ढहा दिया। ओल्ड रोहतक के हिस्से सोनीपत को हुड्डा का गढ़ माना जाता था, क्योंकि 2014 के चुनाव में 6 में से 5 और 2019 के चुनाव में 4 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा ने कोर वोटर ने चुपचाप रहकर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस के केवल इंदुराज नरवाल ही अपनी सीट बचा पाए। भाजपा ने राई की अपनी सीट पर दोबारा जीत हासिल करते हुए सोनीपत, गोहाना और खरखौदा सीटें कांग्रेस से छीन ली।
निखिल को पंजाबी वोटर का मिला भरपूर साथ
भाजपा ने सोनीपत में कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए मेयर निखिल मदान को मैदान में उतारा। उन्हें टिकट मिलने का भाजपाई ने खूब विरोध किया लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राजीव जैन का मनाकर उनका नामांकन वापस कराते हुए निखिल का साथ देने के लिए राजी कर लिया। निखिल मदान को पंजाबी वोटरों का भरपूर साथ मिला। मेयर रहने के दौरान गली-गली, कॉलोनियों और मोहल्लों में जाकर कराए गए उनके विकास कार्यों पर मतदाताओं ने मोहर लगाई।
लगातार दो बार हार के बाद चखा जीत का स्वाद
भाजपा ने जजपा छोड़कर आए पवन खरखौदा को टिकट देकर मैदान में उतारा था। वह कांग्रेस प्रत्याशी जयवीर सिंह से दो चुनाव में मामूली अंतर से हार रहे थे, लेकिन इस बाद उनकी पिछली हार को जीत में बदल दिया।
इस सीट पर पहली बार कमल खिला है। यहां पर मतदाताओं ने तीन बार के विधायक जयवीर सिंह को हराकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कांग्रेस के परंपरागत वोट निर्दलीयों ने किये हासिल
भाजपा ने गोहाना में रोहतक के पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा को टिकट देकर मैदान में उतारा था। उन्हें टिकट मिलने की चर्चाओं पर ही भाजपाइयों ने विरोध स्वरूप उनका पुतला फूंक दिया था लेकिन उन्होंने जबरदस्त चुनावी प्रबंधन दिखाते हुए सभी रूठे भाजपाइयों को मनाकर सभी साथ लेकर चुनाव प्रचार किया।
वहीं पांच बार से लगातार विधायक बनते आ रहे कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक का इस बार हलके में विरोध था। जगबीर का लोगों के साथ रूखा व्यवहार उनकी हार का प्रमुख कारण बना। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी हर्ष छिक्कारा व राजबीर दहिया ने उनके परंपरागत वोट में सेंध मारकर जगबीर की हार की पटकथा लिख दी।
2014 में नकारा, इस बार सिर पर सजाया ताज
राई विधानसभा सीट पर वर्ष 2014 में भाजपा ने पूर्व मंत्री कृष्णा गहलावत को टिकट देकर मैदान में उतारा था लेकिन वह तीसरे नंबर पर रही थीं। हारने के बावजूद उन्हें हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की चेयरपर्सन बनाया। इसके बाद उन्होंने अनेक गांव के कच्चे रास्तों को पक्का कराया। हलके के सभी गांवों के साथ उन्होंने प्रदेश की मंडियों की भी हालत सुधारी। वर्ष 2019 में भाजपा ने राई से मोहन लाल बड़ौली को चुनाव लड़वाया, वह विधायक बने। अब उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने से कृष्णा को दोबारा मौका दिया गया। अब जनता ने उन्हें विधायक चुना है। राई में पूर्व विधायक जयतीर्थ दहिया और जसपाल आंतिल के इस्तीफों ने उनकी हार तय कर दी थी।
बरोदा में कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने दूसरी बार जीत हासिल की। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पिछले चुनाव में कांग्रेस नेता डॉ. कपूर नरवाल को यहां पर कांग्रेस के इंदुराज और निर्दलीय कपूर में कड़ा मुकाबला हुआ। भाजपा के प्रदीप सांगवान यहां पर तीसरे नंबर पर रहे।
कादियान ने मारी बाज़ी
भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद देवेंद्र कादियान ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय ताल ठोकी। हलके में उनकी ओर से कई साल से किए जा रहे जनसेवा के कामों का लोगों को लाभ मिल रहा था। उन्हें टिकट न मिलने का दु:ख पूरे हलके के लोगों को हुआ। इस पर हलके के लोग उनके साथ आ गए। उनके पक्ष में माहौल को देखते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप शर्मा के पक्ष में अपील जारी करनी पड़ी लेकिन वह भी काम नहीं आई। भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र कौशिक तीसरे नंबर पर रहे। जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर देवेंद्र कादियान ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की।

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