तेलंगाना में भाजपा
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के निहितार्थ साफ हैं कि पार्टी ने दक्षिण भारत में संगठन को विस्तार देने के लिये कमर कस ली है। जहां हैदराबाद की सड़कें भाजपा के भगवा व टीआरएस के गुलाबी रंगों से रंगी गईं, वहीं पोस्टर युद्ध भी साफ नजर आया। भाजपा ने जहां अपने मिशन तेलंगाना के समर्थन में पोस्टर लगाये हैं, वहीं मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के पोस्टर मुकाबला कर रहे हैं। हाल में महाराष्ट्र में ‘मिशन लोटस’ पूरा करके भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिये हैदराबाद को चुनने का मकसद मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को भी समझ में आ गया है कि भाजपा का अगला निशाना तेलंगाना है। अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी दौर में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को भी इस बार बड़ी चुनौती का मुकाबला करना होगा। यही वजह है कि वे नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमलावर हैं। पोस्टर, टि्वटर युद्ध के अलावा जुबानी जंग भी जारी है। यहां तक कि केसीआर प्रधानमंत्री तक को रिसीव करने नहीं गये। बहरहाल, भाजपा ने शनिवार-रविवार को आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिये हैदराबाद को भगवा रंग से तो रंग दिया,लेकिन मतदाताओं को यह रंग लुभा पायेगा, ये आने वाला वक्त बतायेगा। दरअसल, मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ममता बनर्जी की तरह भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिये तैयार हैं। वहीं हाल के दिनों में वे भाजपा का विकल्प तैयार करने की साझा विपक्ष की कोशिशों में सक्रिय रहे हैं।
दरअसल, हैदराबाद में निगम चुनावों में मिले सकारात्मक प्रतिसाद के बाद भाजपा खासी उत्साहित रही है। उसे अपनी जमीन तैयार करने की संभावना नजर आयी थी। यही वजह है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सारे देश से सैकड़ों प्रतिनिधियों के अलावा कई केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों के अलावा स्वयं प्रधानमंत्री ने भाग लिया। साथ ही चारमिनार के निकट प्रतिष्ठित भाग्यलक्ष्मी मंदिर भी चर्चा में रहा, जहां योगी आदित्यनाथ समेत कई भाजपा दिग्गज पहुंचे। इसी भाग्यलक्ष्मी मंदिर के नाम पर भाजपा के कुछ नेता हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की दलील देते रहे हैं। दरअसल, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिये भाजपा दक्षिण में पार्टी के विस्तार का संदेश देना चाह रही है। अब तक वह दक्षिण में कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में बहुत कुछ नहीं कर पायी है। अब वह 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दक्षिण भारत में जनाधार बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है। तेलंगाना में भाजपा की महत्वाकांक्षा की एक वजह यह भी कि राज्य गठन के बाद केसीआर ने अपनी पार्टी की स्थिति इतनी मजबूत कर ली कि शेष विपक्ष सिमटकर रह गया। ऐसे में राजनीतिक परिदृश्य में जो रिक्तता आई उसे भाजपा भरने की कवायद में जुटी है। भाजपा ने जहां कई मजूबत विपक्षी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया, वहीं केसी राव के करीबियों में भी सेंध लगाई, ताकि राज्य में टीआरएस का बेहतर विकल्प तैयार किया जा सके। यहां तक कि भाजपा ने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपने नेताओं को भेजकर जनता का मूड भांपने की भी कोशिश की है।