मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

शहरी और गैर-जाट वोटरों पर भाजपा की नजर, किसानों को लुभा रही आप

07:55 AM Nov 12, 2024 IST

रूचिका एम खन्ना/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 नवंबर
पंजाब विधानसभा की चार सीटों डेरा बाबा नानक, छब्बेवाल, बरनाला और गिद्दड़बाहा में 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में राजनीतिक दल अपने पक्ष में मतदाताओं को लाने के लिए विभिन्न रणनीतियां अपना रहे हैं। जहां एक ओर आम आदमी पार्टी (आप) किसानों को लुभाने के लिए अपने प्रयास तेज कर रही है, वहीं भाजपा शहरी और गैर-जाट समुदाय के वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए सक्रिय है।
भाजपा अपनी चुनावी रणनीति में शहरी और गैर-जाट हिंदू वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, ने इस चुनावी अभियान में एक नई दिशा पकड़ी है। केंद्रीय राज्य मंत्री रवीनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव प्रचार के दौरान किसानों के खिलाफ तीखा हमला बोला, जिससे पार्टी की ओर से ‘किसान विरोधी’ बयानबाजी की आशंका जताई जा रही थी। उन्होंने किसान नेताओं पर व्यक्तिगत संपत्ति की जांच की मांग करते हुए यह भी कहा कि पंजाब के किसान पारंपरिक नशों के शिकार थे, यही कारण था कि उन्होंने हरित क्रांति में योगदान दिया।
बिट्टू का यह बयान भाजपा की शहरी वोटों पर कब्जा करने और गैर-जाट समुदाय के समर्थन को मजबूत करने की योजना का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि इससे हिंदू और दलित समुदायों का समर्थन मिलेगा, जो पारंपरिक रूप से भाजपा के साथ खड़े रहते हैं। बिट्टू के इस बयान पर किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने भाजपा नेता के बयान को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कहा, “किसानों के संघर्ष का अपमान करना बंद करें। याद करें जब आप कांग्रेस में थे और इस आंदोलन को पवित्र संघर्ष कहा था।” उनका यह बयान भाजपा की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाता है और यह दिखाता है कि किसानों का गुस्सा भाजपा पर लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब खेत मजदूर यूनियन के महासचिव लछमन सिंह सेवेवाल ने भी बिट्टू को अवसरवादी बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा किसानों के मुद्दों को समझे बिना उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। इससे यह साफ होता है कि किसान संगठन भाजपा के बयान को अपनी राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश मानते हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी इस चुनाव में पूरी ताकत से किसानों का समर्थन हासिल करने में जुटी हुई है। पार्टी ने अपने प्रचार में किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है और उनकी समस्याओं के समाधान का वादा किया है। आप का मुख्य लक्ष्य उन मतदाताओं को प्रभावित करना है जो पिछले चुनावों में किसान आंदोलन का हिस्सा रहे थे और जिन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।

Advertisement

ग्रामीण और शहरी वोटरों का विभाजन
इन उपचुनावों में चारों सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डेरा बाबा नानक, छब्बेवाल और गिद्दड़बाहा में अधिकतर ग्रामीण वोटर हैं, जिनमें किसान आंदोलन से जुड़े लोग शामिल हैं। इस कारण इन सीटों पर आप और कांग्रेस के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है। वहीं, भाजपा शहरी इलाकों के वोटरों को एकजुट करने में लगी है, जहां गैर-जाट और हिंदू मतदाता प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

Advertisement
Advertisement