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कांग्रेस पृष्ठभूमि के 6 नेताओं पर भाजपा ने लगाया दांव!

09:10 AM Mar 27, 2024 IST
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 26 मार्च
हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए ‘जंग का मैदान’ तैयार हो रहा है। इस सियासी जंग को फतह करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा लोकसभा की सभी 10 सीटों पर अपने योद्धा उतार चुकी है। वहीं, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने अभी तक एक सीट पर भी उम्मीदवार नहीं दिया है। हालांकि कांग्रेस व आप गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी कुरुक्षेत्र में अपना उम्मीदवार दे चुकी है। रोचक पहलू यह है कि भाजपा के 10 उम्मीदवारों में से 6 ऐसे हैं, जिनकी पृष्ठभूमि कांग्रेस वाली रही है।
पार्टी ने चार संसदीय सीटों पर संघ पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब दूसरे दलों से आए नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी इस परंपरा पर ही टिकट आवंटन हुआ था। दूसरे शब्दों में इसे इस तरह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी और आपसी खींचतान के चलते कांग्रेस दिग्गज लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा दूसरा कोई विकल्प भी उनके पास नहीं दिखता।
भाजपा ने करनाल से पूर्व सीएम मनोहर लाल को चुनावी मैदान में उतारा है। वे पुराने संघ प्रचारक हैं और 9 साल साढ़े चार महीनों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। बरसों तक संघ और भाजपा में एक्टिव रहे पूर्व सांसद रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को भाजपा ने अम्बाला से उम्मीदवार बनाया है। बंतो कटारिया भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सहित कई पदों पर संगठन में काम कर चुकी हैं। इसी तरह से फरीदाबाद से लगातार तीसरी बार चुनावी रण में उतरे केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर भी संघ पृष्ठभूमि से ही आते हैं।
2014 और 2019 में लगातार दो बार फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव जीत चुके कृष्णपाल गुर्जर विधानसभा सदस्य भी रह चुके हैं। वे भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे हैं। इसी तरह से चौथे प्रत्याशी के तौर पर सोनीपत से राई विधायक मोहन लाल बड़ौली पर भाजपा ने विश्वास जताया है। बरसों से संघ से जुड़े बड़ौली भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी हैं। वे संगठन में और भी कई पदों पर काम कर चुके हैं। संघ और भाजपा के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए ही केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर दाव लगाया है।

ये आये थे कांग्रेस छोड़कर

गुरुग्राम से भाजपा टिकट पर लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, भिवानी-महेंद्रगढ़ के मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह, रोहतक सांसद अरविंद शर्मा, पूर्व सांसद व सिरसा प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर तथा कुरुक्षेत्र प्रत्याशी व पूर्व सांसद नवीन जिंदल कांग्रेस पृष्ठभूमि से आते हैं। वहीं हिसार से उम्मीदवार बनाए गए जेल व बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह भी बरसों तक कांग्रेस में एक्टिव रहे हैं। चौ. देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह लोकदल में भी सक्रिय राजनीति कर चुके हैं, लेकिन भाइयों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते वे कांग्रेस में सक्रिय हुए। बीच में कुछ समय के लिए भाजपा में भी रहे लेकिन फिर से कांग्रेसी हो गए थे। अब एक बार फिर विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हुए हैं।

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2014 में हुई थी उठापठक

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस में बड़ी उठापठक हुई थी। उस समय कांग्रेस सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने अपने समर्थकों सहित भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इसी तरह से पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ़ बीरेंद्र सिंह भी भाजपा में शामिल हुए। इंद्रजीत सिंह के साथ नजदीकियों के चलते चौ़ धर्मबीर सिंह और रमेश चंद्र कौशिक भी भाजपा में आए। रमेश चंद्र कौशिक 2014 और 2019 में सोनीपत से भाजपा सांसद रहे। वहीं धर्मबीर सिंह को लगातार तीसरी बार भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट मिला है। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पूर्व सांसद डॉ़ अरविंद शर्मा भी भाजपाई हुए। इन चुनावों में पार्टी ने उन्हें रोहतक से चुनावी मैदान में उतारा और वे कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को हराने में कामयाब रहे। अरविंद को लगातार दूसरी बार भाजपा ने रोहतक से टिकट दिया है। वे करनाल से कांग्रेस टिकट पर दो बार सांसद रहे हैं।

2019 में दिखा था दस का दम

हरियाणा की राजनीति में 2019 में भाजपा ने पहली बार लोकसभा की सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी। अंबाला से रतनलाल कटारिया, कुरुक्षेत्र से नायब सिंह सैनी, करनाल से संजय भाटिया, सोनीपत से रमेश चंद्र कौशिक, रोहतक से डॉ़ अरविंद शर्मा, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह, भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह, फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर, सिरसा से सुनीता दुग्गल और हिसार से बृजेंद्र सिंह ने चुनाव जीता। बृजेंद्र सिंह ने आईएएस सेवाओं से वीआरएस लेकर भाजपा ज्वाइन की थी। वे अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं सुनीता दुग्गल आईआरएस अधिकारी रही हैं और भाजपा में शामिल होने से पहले वीआरएस ली। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट कर सिरसा से पूर्व सांसद डॉ़ अशोक तंवर पर दाव लगाया है।

गठबंधन में लड़ा था 2014 का चुनाव

भाजपा ने 2014 में लोकसभा का चुनाव उस समय हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ गठबंधन के तहत लड़ा था। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई गठबंधन के तहत खुद हिसार से और सिरसा से उन्होंने पूर्व सांसद डॉ़ सुशील इंदौरा को चुनाव लड़वाया था। दोनों सीटों पर हजकां का हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं भाजपा ने आठ सीटों में से सात पर जीत दर्ज की थी। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा ने भाजपा के ओमप्रकाश धनखड़ को हराया। वहीं हिसार में इनेलो के दुष्यंत चौटाला ने कुलदीप और सिरसा में इनेलो के ही चरणजीत सिंह रोड़ी ने सुशील इंदौरा को पटकनी दी। इन चुनावों में फरीदाबाद से केपी गुर्जर, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह, सोनीपत से रमेश चंद्र कौशिक, भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह, करनाल से अश्विनी चोपड़ा, कुरुक्षेत्र से राजकुमार सैनी और अंबाला से रतनलाल कटारिया चुनाव जीते।

 

 

 

 

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