मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

भितरघात की शिकार हुई भाजपा, आप

08:51 AM Jun 06, 2024 IST
Advertisement

पिहोवा, 5 जून (निस)
कुरुक्षेत्र संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल विजयी रहे। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पिहोवा विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी सुशील गुप्ता व भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल दोनों ही जबरदस्त भीतरघात का शिकार हुए। भीतरघात भी इतनी बड़ी थी कि आप की हजारों की लीड सैकड़ों में बदल गई, जबकि भाजपा प्रत्याशी इस विधानसभा क्षेत्र से पिछड़ गए।
आप प्रत्याशी सुशील गुप्ता वर्करों तक अपनी पकड़ नहीं बना सके। उन्होंने न तो आप कार्यकर्ताओं से पकड़ बनाई तथा न ही कांग्रेस नेताओं के साथ वे अपना तालमेल बना सके। आप सुप्रीमो केजरीवाल के रोडशो के दौरान भी कांग्रेस व आप नेताओं के बीच तनातनी बनी रही। केजरीवाल के रोड शो के दौरान लगाए बैनरों, विज्ञापनों में कांग्रेस के नेताओं के फोटो ही नहीं थे। बाद में कांग्रेसियों द्वारा एतराज जताये जाने के बाद नए विज्ञापन व बैनर बनाये गये, जिसमें कांग्रेस नेताओं के फोटो लगाये गए। यही से भीतरघात की शुरुआत हुई।
आप ने अपने चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया का सहारा लिया। सोशल मीडिया के कारण ही उन्हें गांव में भारी लीड न मिल सकी। शहर के लोगों ने भी सोशल मीडिया को पूरी तरह से नकार दिया। अब कांग्रेसी भी मानने लगे हैं कि आम आदमी पार्टी प्रत्याशी ने कांग्रेसियों का केवल जरूरत पर ही प्रयोग किया। उनकी पूरी तरह से अनदेखी की गई।
वर्करों ने नहीं दिया नवीन जिंदल का पूरा साथ
वही भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल भी भीतरघात का शिकार हुए। भाजपा वर्करों ने उनका पूरी तरह से साथ नहीं दिया। वैसे भी पिछले तीन चुनावों से भाजपा वर्कर नाराज चल रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी से वर्कर तो नाराज रहे, परंतु इनेलो की टूट का नवीन जिंदल को पूरा लाभ मिला। पूरी इनेलो ही भाजपाई बन गई तथा उसने जीत दिला दी। वर्ष 2014 के चुनाव में वर्करों की नाराजगी के कारण ही पार्टी जीत न सकी। वर्करों की नाराजगी के कारण भीतरघात हुआ। वहीं भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल को तीन-चार नेता घेरे रहे। उन्हें दायरे से बाहर निकलने का मौका ही न दिया। इन नेताओं के कारण अनेक गांवों में उन्हें सही ढंग से वोट भी नहीं मिले। चुनाव प्रचार में पिछड़ता देख भाजपा प्रत्याशी ने ऐन वक्त पर यूटर्न लेते हुए प्रिंट मीडिया का सहारा लिया। जिस कारण उन्हें शहर में भरपूर समर्थन मिला। शहर के प्रचार की हवा से गांव में भी उन्हें लाभ मिला। हजारों की गिनती में मिलने वाली हार सैकड़ों में बदल गई। स्थानीय विधायक का शहर में विरोध का नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ा। जिस कारण पिहोवा से भाजपा कही से भी लीड न ले सकी।

Advertisement
Advertisement
Advertisement