भाजपा ने हिन्दुत्व के लिए धर्मनिरपेक्षता को त्याग दिया : प्रभाकर
यशपाल कपूर/निस
कसौली (सोलन), 13 अक्तूबर
कसौली क्लब में तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का आगाज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अर्थशास्त्री पति व लेखक डॉ. पराकला प्रभाकर के धमाकेदार सत्र से हुआ। डॉ. प्रभाकर ने अपनी नई किताब ‘द क्रुक्ड टिंबर ऑफ न्यू इंडिया : एसेज ऑन ए रिपब्लिक इन क्राइसिस’ पर चर्चा की। डॉ. प्रभाकर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में जिन समस्याओं का सामना कर रही है, वह एक सामंजस्यपूर्ण आर्थिक रणनीति की कमी के कारण है। हरिंद्र बावेजा के प्रश्नों पर डॉ. प्रभाकर ने खुलकर जवाब दिये। प्रभाकर ने मोदी शासन को अक्षम करार देते हुए कहा कि भाजपा द्वारा हिंदुत्व की चोरी-छिपे तस्करी की गई थी, जिसने 2014 का चुनाव विकास के मुद्दे पर जीता था, लेकिन अब पार्टी ने हिन्दुत्व के लिए धर्मनिरपेक्षता को त्याग दिया है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था संभालने में मोदी शासन की अक्षमता के कारण गणतंत्र को संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी शासन ब्रांडिंग पर चलता है। भले ही भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में हार जाए, लेकिन उसकी राजनीति का ब्रांड जल्द खत्म नहीं होगा। डॉ. प्रभाकर ने भारत की अर्थव्यवस्था और कल्याणकारी योजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान को ही देखें। ऐसा लगता है कि इसे मोदी सरकार ने ब्रांड इमेज के लिए लांच किया है। इस योजना का 80 फीसदी बजट विज्ञापनों पर खर्च हो रहा है। बड़े-बड़े बैनर, होर्डिंग्स में ब्रांड को बिल्ड करती तस्वीरें इसका उदाहरण है।
दूसरे सत्र में इंद्राणी मुखर्जी भी शामिल हुई
इसके बाद के सत्र में खुशवंत सिंह के बेटे और लिटफेस्ट के आयोजक राहुल सिंह, जयदीप मुखर्जी और आर गोपाल कृष्णन ने भाग लिया। इस सत्र में इंडियन टेनिस पर विस्तार से चर्चा हुई। कसौली लिटफेस्ट में मीडिया दिग्गज इंद्राणी मुखर्जी भी शामिल हुई। अपनी बेटी की हत्या के आरोप में 2460 दिन जेल में बिताने के बाद इंद्राणी मुखर्जी अपनी आत्मकथा ‘अनब्रोकन: द अनटोल्ड स्टोरी’ के जरिए अपना पक्ष रखा। देशभर में बहुचर्चित बेटी के कत्ल की कहानी आज भी लोगों में उत्सुकता जगा रही है। 2012 में इस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। सीबीआई ने बहुत जांच की लेकिन आज भी गुत्थी अनसुलझी है। कसौली में आज इंद्राणी मुखर्जी ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि अपने पूरे जीवन की किताब उपस्थित जनसमूह के समक्ष खोल दी। अपने संस्मरण अनब्रोकन में इंद्राणी पीछे नहीं हटती। गुवाहाटी में उनके बचपन से लेकर, 1980 के दशक में कोलकत्ता में बिताया गया समय, सपनों की नगरी मुंबई में एक मीडिया दिग्गज के रूप में उनके शानदार उत्थान तक और अंत में, भायखला जेल में बिताए गए 2460 दिन।