बिक्रम मजीठिया को हाईकोर्ट से राहत नहीं,
चंडीगढ़, 4 जुलाई (ट्रिन्यू)
पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से कोई अंतरिम राहत नहीं मिल सकी। उन्होंने अपनी कथित ‘गैरकानूनी गिरफ्तारी और रिमांड’ को चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने पंजाब सरकार से स्पष्ट जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई अब 8 जुलाई को होगी। जस्टिस त्रिभुवन दहिया की पीठ ने राज्य पक्ष को निर्देश दिया कि वह आवश्यक दिशा-निर्देश लेकर अदालत के समक्ष प्रस्तुत हो, जिसके बाद ही याचिका पर विस्तृत सुनवाई की जाएगी। मजीठिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया गया है। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार उनकी आलोचना और राजनीतिक विरोध से खिन्न होकर उन्हें बदनाम और प्रताड़ित करने का प्रयास कर रही है। यह याचिका अधिवक्ताओं सर्तेज सिंह नरूला, दमनबीर सिंह सोबती और अर्शदीप सिंह चीमा के माध्यम से दायर की गई। याचिका के अनुसार, 25 जून को मोहाली स्थित विजिलेंस ब्यूरो थाने में दर्ज की गई एफआईआर पूरी तरह से अवैध है।
ये रखीं दलीलें
मजीठिया का आरोप है कि जांच एजेंसी ने केवल अनुमान और शंकाओं के आधार पर रिमांड मांगी थी, जैसे उनके कथित प्रभाव, विदेशी संपर्क और डिजिटल डिवाइसों से सामना कराना। जबकि इन दावों का कोई ठोस आधार नहीं था। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में 4 मार्च को उनकी पुलिस कस्टडी की मांग को ठुकरा दिया था और उन्हें एसआईटी जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था, जिसे उन्होंने पूरी तरह निभाया। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने मजिस्ट्रेट को गुमराह कर एक बार फिर हिरासत की मांग प्रस्तुत की।