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‘तारीख पे तारीख’ में उलझा भिवानी का बरसाती पानी प्रोजेक्ट

07:28 AM Jul 10, 2024 IST
‘तारीख पे तारीख’ में उलझा भिवानी का बरसाती पानी प्रोजेक्ट
भिवानी के बावड़ी गेट पर सीवरेज निकासी के लिए स्थापित अस्थाई पंप। -हप्र
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अजय मल्होत्रा/ हप्र
भिवानी, 9 जुलाई
भिवानी के बरसाती पानी निकासी प्रोजेक्ट का मामला भी अब ‘तारीख पे तारीख’ की तरह उलझा दिखाई देता है। उल्लेखनीय है कि शहर के लिए 3 वर्ष पूर्व तैयार बरसाती पानी निकासी प्रोजेक्ट पर काम तो कहीं शुरू नहीं हुआ लेकिन इस पर आने वाली लागत 6 करोड़ रूपये से बढ़कर 18 करोड़ हो चुकी है। प्रोजेक्ट पर काम न होने से थोड़ी बरसात होते ही आधे शहर में पानी भरने की आशंका बन जाती है।
गौरतलब है कि गत‍् लगभग 9 वर्षों से 2 दर्जन कालोनियों में जल भराव की भारी समस्या बनी हुई है। शहर से बरसाती पानी की निकासी व सीवरेज और पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘अमरुत योजना’ के तहत 90 करोड़ रूपया राशि जारी की थी। इस राशि को खर्च तो कर दिया गया लेकिन शहर के जल भराव वाले हिस्सों में स्थिति ज्यों कि त्यों बनी रही।

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वर्ष 2021 में तैयार हुआ था प्रोजेक्ट
जानकारी के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरलाल से लेकर सांसद व विधायक के हस्तक्षेप के बाद 2021 में सरकुलर रोड के बाहरी हिस्से के लिए 6 करोड़ रूपये की लागत से बरसाती पानी की निकासी का एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया। यह प्रोजेक्ट साल में दो बार जनस्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में जाता है और हर बार इस पर कोई न कोई आपत्ति लगा दी जाती है और फाइल वापस भिवानी आ जाती है।
दोबारा लागत बढ़ाकर चंडीगढ़ भेजी जाती है लेकिन परिणाम शून्य रहता है। तीन वर्षों के दौरान प्रोजेक्ट की लागत 6 करोड़, 11 करोड़, 14 करोड़ और अब 18 करोड़ रूपये की लागत के साथ चंडीगढ़ भेजी है। क्षेेत्रवासियों को एकबार फिर से आशंका है कि फाइल वापस आएगी और यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा। 3 वर्षों के दौरान इस प्रोजेक्ट के लिए भागा-दौड़ करने वाले 3 उपायुक्त व जनस्वास्थ्य विभाग के आधा दर्जन अधिकारी भी बदल चुके हैं लेकिन स्थिति ज्यों कि त्यों है।

क्या कहते हैं अधिकारी-
जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता सुनील रंगा का कहना है कि नगर परिषद द्वारा एनओसी में देरी करने से अमरुत योजना के फेस दो के लिए मंजूरी नहीं मिल पा रही। उन्होंने कहा कि शहर में सीवरेज प्रणाली को दुरूस्त करने के लिए विभागिय स्तर पर 70 करोड़ की परियोजनाएं हैड ऑफिस को भेज रखी हैं। इसके अलावा बरसाती पानी की निकासी के लिए 18 करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट भी मुख्यालय को भेज रखा है।

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पंप भी बरसात आते ही हो जाते हैं ठप
जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा किसी ठोस योजना के अभाव में शहर में जगह- जगह अस्थाई पंप स्थापित किए गए हैं लेकिन ये पंप भी बरसात आते ही ठप हो जाते हैं। हां, इतना जरूर है कि बरसात के बाद ही ये अपना शुरू करते हैं। यहां तक कि पिछले 9 वर्षों से स्थानीय रोहतक गेट से लेकर देवसर चुंगी डिस्पोजल तक तीन किलोमीटर लंबी गहरी सीवरेज लाइन भी ठप है। इसका निरीक्षण स्वंय पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल, जनस्वास्थ्य मंत्री बनवारीलाल से लेकर जनस्वास्थ्य विभाग के प्रशासनिक अधिकारी तक कर चुके है लेकिन आज तक यह लाइन खुल नहीं पाई। परिणामस्वरूप शहर जगह- जगह पंप लगे हैं। यहां तक कि आधे शहर में बिना ठोस योजना के शुरू किया गया ‘अमरुत फेस प्रथम’ का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया। इस योजना पर 90 करोड़ रूपये खर्च हुए। उपायुक्त व जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा नगर परिषद से ‘अमरुत’ के तहत करवाए गए कार्यों की एनओसी बार-बार मांगने पर भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यहां भी हर बार तारीख पे तारीख दी जा रही है। जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार एनओसी न मिलने से अमरूत फेस दो पर कार्य शुरू नहीं हो पा रहा।

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