भद्रामुक्त रक्षाबंधन का समय
सत्यव्रत बेंजवाल
इस बार ‘रक्षाबंधन’ पर ‘भद्रा’ का साया रहेगा तथा अल्पकालिक मुहूर्त रहेगा। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन का पवित्र पर्व अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा रहित करना शुभप्रद होता है। 30 अगस्त को भद्रा सुबह 10:57 से रात्रि 9:03 तक रहेगी तथा पूर्णिमा भी सुबह 10:59 से दूसरे दिन (31 अगस्त) सुबह 7:06 तक रहेगी। यदि प्रथम दिन व्याप्त पूर्णिमा के अपराह्न काल में भद्रा हो तथा द्वितीय दिन उदयकालिक पूर्णिमा त्रिमुहूर्त-व्यापिनी हो तो उसी उदितकालीन पूर्णिमा के अपराह्नकाल में रक्षाबंधन करना शुभ होता है। यदि दूसरे दिन उदितकालीन पूर्णिमा त्रिमुहूर्त-व्यापिनी न हो तो प्रथम दिन पूर्णिमा में भद्रा समाप्त होने पर प्रदोषकाल में रक्षाबंधन किया जाना चाहिए।
प्राचीन परंपरानुसार उदितव्यापिनी पूर्णिमा के दिन प्रात:काल ही रक्षाबंधन पर्व मनाने का प्रचलन है तथापि 31 अगस्त को त्रिमुहूर्त-न्यून उदयकालिक पूर्णिमा में रक्षाबंधन करना शास्त्रानुसार सही नहीं होगा। 30 अगस्त को प्रदोषकाल के समय भद्रारहित काल में रात्रि 9:03 के उपरांत रक्षाबंधन पर्व मनाना शुभ होगा। क्योंकि ‘निर्णयामृत’ एवं ‘धर्मसिंधु’ के अनुसार-प्रदोष काल के बाद भद्रारहित काल रात 9:03 के बाद रक्षाबंधन शुभ होगा।