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बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं फॉरेंसिक साइंस के पेशे में

07:25 AM Aug 29, 2024 IST
बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं फॉरेंसिक साइंस के पेशे में

अशोक जोशी
जैसे-जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं और अपराध करने के तरीकों में बदलाव आ रहा है, वैसे-वैसे अपराध और अपराधियों की खोज के लिए फॉरेंसिक साइंस की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। दुनिया भर में अपराध असीमित होते हैं इसलिए इस फील्ड में अवसर भी असीमित हैं। फॉरेंसिक साइंस का उपयोग मुख्य रूप से अपराध के मामलों को सुलझाने में किया जाता है, लेकिन अब एस्ट्रोनॉमी, जियोलॉजी, आर्कियोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है। अपराध की जगह से सबूत जुटाने से लेकर पृथ्वी के नीचे होने वाली गतिविधियों के अध्ययन में यह सहायक है। इसके लिए इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और मेडिकल साइंस की मदद ली जाती है। अलग-अलग क्षेत्रों में बढ़ते इस्तेमाल के चलते फॉरेंसिक साइंस छात्रों के लिए कैरियर का एक बेहतर विकल्प है। हालांकि, इस फील्ड में बेहतर कैरियर के लिए स्पेशलाइजेशन जरूरी होता है क्योंकि अलग-अलग स्ट्रीम में नौकरी मिलने की संभावना और पैकेज अलग-अलग होता है। फॉरेंसिक का मतलब होता है किसी घटना से संबंधित या उससे पहले से जुड़ीं चीजें और घटनाएं। सामान्यतः घटना से पहले या उसके तुरंत बाद की परिस्थिति से इसका संबंध होता है और इसी के आधार पर अपराध की जड़ तक पहुंचना संभव होता है।

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फॉरेंसिक साइंस में कैरियर

जिन युवाओं का दिमाग विश्लेषणात्मक है और रुचि देश-दुनिया से अपराध कम कर समाज सेवा करने में है उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है। जिसे फ़ोरेंसिक के क्षेत्र में कैरियर बनाने की चाहत है वह स्कूली शिक्षा पूरी करने के तुरंत बाद इसे शुरू कर सकता है। फॉरेंसिक साइंस में 3 साल की बीएससी, 2 साल की एमएससी या फॉरेंसिक साइंस में पीजी डिप्लोमा कर सकते हैं। फॉरेंसिक साइंस में पीएचडी और एमफिल भी कर सकते हैं।

पाठ्यक्रम एवं प्रवेश प्रक्रिया

बी.एससी. फोरेंसिक साइंस तीन साल का डिग्री प्रोग्राम है जिसे 6 सेमेस्टर में विभाजित किया गया है। इस कोर्स के तहत छात्रों को अपराध, अपराध स्थल जांच तकनीक, साक्ष्य संग्रह और प्रयोगशाला तकनीक आदि के बारे में सीखने को मिलता है। यह अपराध विज्ञान के क्षेत्र में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह का ज्ञान प्रदान करता है। यह कोर्स अपराधों की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों और कानून के एक साथ इस्तेमाल पर केंद्रित है। इस कोर्स के दौरान विद्यार्थी को घटनास्थल से एकत्र किए गए विभिन्न नमूनों की जांच करके वारदात में वास्तविक अपराधी की पहचान करने का अनिवार्य कौशल सिखाया जाता है।
विज्ञान स्ट्रीम में 10वीं और 12वीं पास युवा एलपीयूएनईएसटी, आईएफएसईटी, आईपीयूसीईटी के माध्यम से फॉरेंसिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस,नई दिल्ली, सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के अलावा कई अन्य सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में इसके कोर्स उपलब्ध हैं। शीर्ष संस्थानों में एंट्रेंस टेस्ट के जरिये एडमिशन होता है। फॉरेंसिक साइंस के कोर्स का बड़ा हिस्सा मेडिकल साइंस से संबंधित है जबकि अपराधों की खोज में कानूनी प्रक्रियाओं का ज्ञान जरूरी होता है। इसलिए इस फील्ड में मेडिसिन या लॉ की डिग्री ले चुके छात्रों के लिए कैरियर बनाना आसान है। ऐसे छात्रों को प्राइवेट कंपनियों में ज्यादा पैकेज मिलता है और कैरियर ग्रोथ के मौके भी ज्यादा होते हैं।

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स्पेशलाइजेशन के कोर्स

अपराध की जटिलता और विविधता को देखते हुए इस क्षेत्र में कई स्पेशल फील्ड हैं जिनमें फॉरेंसिक बायोलॉजी, फॉरेंसिक सीरोलॉजी, फॉरेंसिक केमिस्ट्री, फॉरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी, फॉरेंसिक बैलिस्टिक्स, फॉरेंसिक एनटोमोलॉजी और फॉरेंसिक बॉटनी प्रमुख हैं। इनके लिए देश के चुनिंदा संस्थानों में अलग-अलग स्पेशल कोर्स उपलब्ध हैं।

फॉरेंसिक साइंस में स्कोप

यदि देश में उपलब्ध फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट्स और इनकी जरूरत का आकलन किया जाए तो पता चलता है कि हमारे यहां केवल 30 प्रतिशत ही एक्सपर्ट्स उपलब्ध हैं। मतलब यह कि कई सालों तक इस क्षेत्र में कैरियर निर्माण के असीमित अवसर उपलब्ध रहेंगे। क्राइम इन्वेस्टिगेशन के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसके ट्रेंड प्रोफेशनल्स की मांग विदेशों में भारत से कहीं ज्यादा है।
फॉरेंसिक साइंस में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात फोरेंसिक वैज्ञानिक, अपराध स्थल अन्वेषक, फोरेंसिक विशेषज्ञ, सीमा शुल्क एजेंट, फोरेंसिक भूवैज्ञानिक, फोरेंसिक इंजीनियर, फोरेंसिक एकाउंटेंट, साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञ, लॉ कंसल्टेंट, हैंडराइटिंग एक्सपर्ट बन सकते हैं। वहीं कानून विशेषज्ञ के रूप में सीबीआई, आईडी, प्रवर्तन निदेशालय,, सरकारी फोरेंसिक प्रयोगशाला, आयकर विभाग, अपराध शाखा, गुणवत्ता नियंत्रण ब्यूरो के अलावा हॉस्पिटल, प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी, लॉ फर्म, पुलिस विभाग, क्वॉलिटी कंट्रोल ब्यूरो, बैंक, यूनिवर्सिटी तथा सुरक्षा संस्थानों और सेना में भी कैरियर निर्माण के बेहतरीन विकल्प उपलब्ध हैं। इसके पेशेवरों को सरकारी सेक्टर के अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी अच्छी सैलरी मिलती है। शुरुआती पैकेज करीब 4 लाख रुपये सालाना होता है। अनुभव होने पर 10 से 15 लाख रुपये तक महीना कमा सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

देश के जिन चुनिंदा संस्थानों में फॉरेंसिक साइंस से संबंधित कोर्स उपलब्ध है उनमें इंडियन फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली, गुजरात फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी, पंजाबी यूनिवर्सिटी, भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी, मणिपाल यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी तथा लखनऊ यूनिवर्सिटी शामिल हैं। कुछ निजी संस्थानों में भी फॉरेंसिक साइंस के कोर्स उपलब्ध हैं।

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