For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

चांद पर बाजी और दावे की गप्पबाजी

07:52 AM Aug 30, 2023 IST
चांद पर बाजी और दावे की गप्पबाजी
Advertisement

प्रदीप कुमार दीक्षित

Advertisement

चंद्रयान की सफलतापूर्वक लैंडिंग का श्रेय गपोड़ीलाल को है। उन्होंने कुछ वर्ष पहले ही गप मारी थी कि एक दिन भारत का चंद्रयान चंद्रमा की सतह को चूम लेगा और बाकी सूरमा देश देखते रह जाएंगे। गपोड़ीलाल का मूल नाम तो कुछ और है लेकिन उनकी गप्पों के उनके व्यापक कैनवास की वजह से अब गपोड़ीलाल लुप्तप्राय हो चुका है। गपोड़ीलाल अपनी गप्पों का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं। उन्होंने एक डायरी बना रखी है जिसमें उनके मुखारविंद से झरी गप्पों का साल, महीना और तारीख नोट कर लेते हैं। जैसे ही चंद्रयान लैंडिंग हुआ, उन्होंने फौरन अपनी डायरी निकाल कर दिखा दी और अपनी गप को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। अब अपनी गप को फैलाने में उन्हें इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है। उनके हाथ एक बड़ा हथियार आ गया है और इसमें जोखिम न के बराबर है।
गप्पें हांकने का उनके पास पर्याप्त अनुभव है। शुरू-शुरू में वे गप मार कर अपने ही जाल में फंस जाते थे और मुसीबत उनके गले आ पड़ती थी। कभी-कभी तो उनकी शारीरिक हानि भी हो जाती थी। एक पहलवान के बारे में गप मारने पर वे इसी कष्टदायक पीड़ा से गुजर चुके हैं। इसलिए अब वे इस बात का खयाल जरूर रखते हैं कि मार खाने की नौबत ना आए। और जहां तक मान-सम्मान की बात है- गपोड़ीलाल जैसे लोगों को इसकी परवाह ही कहां है। उनकी जुबान और शरीर सही-सलामत रहे, इतना ही काफी है।
गपोड़ीलाल की गप जैसे ही वायरल हुई, उनकी तो बांछें खिल गईं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान की सफलता में किसी सरकार का कोई योगदान नहीं है। यदि उन्होंने फलानी तारीख को यह बात नहीं कही होती तो सरकार को कैसे प्रेरणा मिलती और वह कैसे इस दिशा में काम करती। उनकी बात से ही सरकार चेती और यह बड़ा काम कर दिखाया।
गपोड़ीलाल ने यह भी कहा कि चंद्रयान की सफलता का श्रेय किसी भी राजनीतिक दल को नहीं है। उनका तो चरित्र ही यही है कि किसी को सफलता का श्रेय न देकर अपने पूर्ववर्ती नेताओं को श्रेय देते हैं। वे किसी भी बड़ी सफलता में सुराख ढूंढ़ ही लेते हैं। यह वैसा ही है कि जो ताला आपने खुलवाया है, उसे हमने लगवाया था। यदि हम ताला नहीं लगाते तो आप उसे कैसे खुलवाते।
गपोड़ीलाल का यह भी कहना है कि वैज्ञानिक भी उनकी बात से प्रेरित होकर ही इस काम में जी-जान से जुटे और यह उपलब्धि हासिल कर ली। गपोड़ीलाल को इस बात का बड़ा दुख है कि चंद्रयान की सफलता का श्रेय सभी लूटना चाहते हैं, लेकिन उनके जैसे गपोड़ी को कोई याद ही नहीं कर रहा है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement