सकारात्मक रहने से अच्छा रहता है जीवन के प्रति दृष्टिकोण
नयी दिल्ली, 8 सितंबर (एजेंसी)
जानी-मानी गायिका आशा भोसले 91 वर्ष की हो गयीं। इस उम्र में भी सीखने की ललक के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं आजकल की तरह जवान दिखने के लिए कुछ नहीं करती। जो लोग अंदर से खुश और सकारात्मक होते हैं, उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण अच्छा होता है। मैं सकारात्मक रहती हूं, सीखती हूं... यह सब ईश्वर में अटूट आस्था के कारण होता है।’ एक बातचीत में आशा ने कहा कि उनकी और उनकी बड़ी बहन सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज़ मिलती-जुलती थी, लेकिन उन्होंने (आशा ने) हमेशा अपनी अलग पहचान बनानी चाही।
‘पिया तू अब तो आजा’, ‘तोरा मन दर्पण कहलाये’, ‘मेरा कुछ सामान’, और ‘ले गई ले गई’ जैसे विभिन्न प्रकार के गानों के लिए जानी जाने वाली आशा ने कहा, ‘किसी को भी अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को अलग रखना चाहिए।’ आशा भोसले ने कहा, ‘आपके जीवन का दुख आपके गीतों में नहीं झलकना चाहिए। एक कलाकार के तौर पर आपको भावनाओं के हिसाब से बदलना चाहिए। यही वजह है कि पार्श्व गायन में दीदी और मैंने इतने सालों तक अपनी जगह बनाए रखी। दीदी ने शुरुआत की और फिर मैं इसमें आ गयी।’
पति आरडी बर्मन को किया याद
आशा ने अपने संगीतकार-पति आरडी बर्मन, जिन्हें प्यार से पंचम के नाम से जाना जाता है, के बारे में भी बात की। आशा ने कहा, ‘एक बार मैंने उनसे एक सरल गीत देने को कहा तो बोले, सरल गीत तो कोई भी गा सकता है, लेकिन कोई भी आपके जैसा नहीं है। आप ये गीत नहीं गाएंगी, तो मैं उन्हें संगीतबद्ध करना बंद कर दूंगा।’ पंचम का हर गीत मेरे लिए एक चुनौती था। वह गायक के मन को पढ़ लेते थे।
पहले ‘उमराव जान’ का एक गाना मिला, फिर सारे गाये
दिग्गज गायिका ने कहा कि उन्हें 1981 की क्लासिक फिल्म ‘उमराव जान’ के लिए एक गाना गाने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने फिल्म के सभी गीतों को आवाज दी। मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित और रेखा द्वारा अभिनीत इस फिल्म के लिए भोसले को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उन्होंने ‘दिल चीज़ क्या है’, ‘इन आंखों की मस्ती के’, ‘ये क्या जगह है दोस्तों’ और ‘जुस्तजू जिसकी थी’ जैसे गाने गाए। आशा ने कहा, ‘यह किस्मत ही है। सभी गाने हिट हो गए।’