तेज़ हवाओं से निखरता सौंदर्य
संतोष उत्सुक
न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर आकलैंड से देश की राजधानी वैलिंग्टन उड़कर भी जा सकते हैं लेकिन इस लगभग 650 किमी लंबी ड्राइव का मज़ा कुछ अलग है। यहां अनुशासन है इसलिए वाहन चलाना आसान है। कोई हॉर्न नहीं बजाता। बस सफ़र में जागरूकता और चौकन्नापन ज़रूरी है।
ऐतिहासिक क्यूबा स्ट्रीट
खरीददारी और स्वाद के लिए मशहूर क्यूबा स्ट्रीट है। यहां स्ट्रीट्स खूब चौड़ी हैं दोनों तरफ वाहन खड़े होते हैं बीच में चलते भी हैं। इन्हें गलियां कहना इनकी चौड़ाई कम करना-सा लगता है। इस प्रसिद्ध स्ट्रीट में हेरिटेज इमारतें और बोहेमियन निवासी काफी हैं। किस्म-किस्म के खाने की जगहें और स्वाद इतने हैं कि जीभ भी घूमने लगती है। मन कहता है सुंदर चीज़ें तो देखने और तारीफ़ करने के लिए होती हैं लेकिन पेट कहता है खाकर देखो। कॉफ़ी, वाइन, बीयर, चीनी, मैक्सिकन, थाई, बेकरी, बर्गर, पिज़ा और भी बेशुमार।
तेज़ हवाओं का शहर
राष्ट्रीय संग्रहालय
म्यूजियम ऑफ़ न्यूजीलैंड, वैलिंग्टन का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आकर्षण है। वर्ष 1998 में खुले, छह मंजिलों वाली इस विशाल इमारत में मावरी कला, संस्कृति, विज्ञान और इतिहास से सम्बंधित आठ लाख कलाकृतियों को सलीके से संवार कर रखा गया है। विदेशों में संग्रहालय स्थापित कर उनका बेहतर प्रबंध करने की समृद्ध परम्परा है। पर्यटक और स्थानीय लोग सपरिवार आते हैं। बच्चों के लिए अलग कक्ष है। उनके हाथ में मोबाइल नहीं है। उन्हें पेंटिंग सामग्री उपलब्ध कराई गई है। छोटे बच्चे ड्राइंग कर रहे हैं। वे फूल, पत्तियां, पक्षी या मनचाहा कुछ बना रहे हैं। इन चित्रों को वहीं डिस्प्ले कर सकते हैं। प्रथम विश्व युद्ध के बंकर बनाए गए हैं। उसमें लड़ने वाले जांबाज़ वीरों के लाइफ साइज़ से लगभग दो गुणा जीवंत मॉडल हैं। जिनकी कलात्मक प्रस्तुति अभिभूत करती है। लकड़ी से बने, विशाल मावरी देव चरित्रों के प्रभावशाली बुत हैं। यहां तो ख़ास पत्थरों और लकड़ी के टुकड़े भी विवरण के साथ रखे गए हैं। कुदरती सामग्री से बनी स्कर्ट हेंडीक्राफ्ट की मिसाल है। अनेक आकर्षक कलाकृतियां बेहद सरल तरीके से बनाई गई हैं। ‘आर्ट एंड न्यूजीलैंड’ का अलग कक्ष है जहां आराम से बैठकर देख सकते हैं। कलाडोस्कोप में हैरान करने वाली कलाकृतियां दिखती हैं। शानदार पोर्ट्रेट्स हैं। हजारों चित्रों वाली दीवार लुभाती है। ‘शेयर द लव-मिनी स्टुडियो’ में बैठकर नया आनंद मिलता है। यहां काफी समय बिताकर, अपनी महत्वपूर्ण चीज़ों को संवारकर रखने की प्रेरणा मिलनी स्वाभाविक है।
घुमक्कड़ी
पड़ोसी पहाड़ी माउंट विक्टोरिया में शहर का विहंगम नज़ारा आंखों में समा जाता है। दुनियाभर से आकर बसे हैं यहां लोग। सामने हवाई पट्टी पर छोटे बड़े निजी, व्यावसायिक विमान उतर रहे हैं। उड़ भी रहे हैं। इन्हें देखना नया अनुभव लगता है। मुख्य सड़क के किनारे समन्दर है। सामने समुद्री जहाज सामान लाता दिखता है। थोड़ा आगे यहां समन्दर के बीच वाचिंग टावर, जिसके आसपास समुद्र खूब अठखेलियां करता है ख़ास तौर पर जब हाई टाइड हो। यहां हवाई जहाज़ भी दिखते रहते हैं। इधर हॉलीवुड स्टाइल में लिखा वैलिंग्टन आकर्षक, इसका अंदाज़ बता देता है कि यहां कितनी तेज़ हवाएं चलती हैं। तेज़ हवा और ठंडी लहरों के सान्निध्य में चहलकदमी का अलग मजा है। अच्छी बात यह है, जो जलक्षेत्र प्रदूषित हो जाता है वहां चेतावनी लिख दी जाती है कि यहां तैरिए मत, यहां की मछलियां या सी फूड मत खाइए।
सुन्दर घास का खासा उपयोग है। जगह जगह, बाजारों सड़कों के बीच भी फूलों की क्यारियां हैं। दिलकश फूल लटकाए हुए हैं। कम उम्र के वृक्षों के इर्दगिर्द उचित जगह खाली रखी गई है। प्रोसेस्ड फूड की भी भरमार है। शो केस में स्वाद सजे हुए हैं, उनके फ़ोटोज़ भी हैं, साथ में कीमत लिखी है। खरीदिए और रेस्तरां में बैठकर खाइए या बाहर बैठकर। बाहर खुले में बैठकर खाना खूब पसंद किया जाता है। जगह-जगह आकर्षक बेंच लगे हैं, आराम से बैठिए, आइसक्रीम खाइए या काफी सिप करते रहिए। शाकाहारियों के लिए खाना ढूंढ़ना मेहनत और वक्त मांगता है। वैसे तो कई यह और वह चीज़ें मिलाकर खाकर भी, अमुक शाकहारी श्रेणी में रह सकते हैं।
ख़ास दिन लगने वाला, फल, सब्जियों और अन्य चीज़ों का बाज़ार सजा है। चारों तरफ वाहनों में भी सामान के रंग-बिरंगे प्लास्टिक कार्टन सजे हैं। अपना वाहन उचित जगह पार्क कर ग्राहक पैदल शापिंग कर रहे हैं, आराम से खा-पी रहे हैं, गपशप भी हो रही है। वैलिंग्टन किसी भी आधुनिक शहर की तरह है। समंदर के पड़ोस में, छोटी-छोटी पहाड़ियों पर साफ़-सुथरी इमारतें हैं। छोटी, बड़ी और विशाल नौकाएं हैं। आसमान पर सूरज को नटखट बादलों ने ठंडे आंचल में छुपा लिया है, कह नहीं सकते कब बूंदाबांदी हो जाए।
केबल कार और कीमती पत्थर
लाल केबल कार पिछले एक सौ बाईस साल से यह ऐतिहासिक कार तीन सुरंगों और तीन पुलों वाला, छह सौ बारह मीटर का रोमांचक सफ़र करवा रही हैं। शहर के हलचल भरे सिटी सेंटर में स्थित है। ऊपर एक संग्रहालय भी बना हुआ है जहां रेल के पुराने डिब्बे भी रखे गए हैं। इनकी क्वालिटी देखकर हैरानी होती है। विदेश में जहां भी ज़रूरी पुरानी चीजें उपलब्ध हों संग्रहालय स्थापित कर दिया जाता है वहां रखी वस्तुओं को अच्छे तरीके से रखा भी जाता है। साथ में बढ़िया कैफे बना दिया जाता है जिसमें यादगार चिन्ह और गिफ्ट आइटम मिलते हैं। यहां से शहर के विहंगम नज़ारे दिखते हैं। पड़ोस में ही बाटनिकल पार्क भी है जहां काफी देर तक, घूमकर सुन्दर वृक्ष, पौधे फूलों से मिलकर, प्रकृति प्रेम से रूबरू हुआ जा सकता है। यहां गिफ्ट शॉप में पाए जाने वाले हरे पत्थर से बनाए जाने वाले आभूषण आम से ख़ास लोगों द्वारा खूब पसंद किए जाते हैं। कम कीमत के अनगढ़ टुकड़ों से लेकर, कारीगरी से आकर्षक आकारों में बनाए महंगी दरों पर बिकते हैं। वैलिंग्टन से लगभग चार किलोमीटर दूर ऊंचाई पर स्थित 44 मीटर ऊंची ‘ब्रुकलिन विंड टरबाइन’ है। जो एक साल में, 490 घरों लिए उपयुक्त, लगभग चार हज़ार मेगावाट रिन्यूअल एनर्जी पैदा करती है।
गणेश प्रतिमा और भारत भवन
अनेक संग्रहालय यहां के सामाजिक और पर्यटकीय जीवन का हिस्सा हैं। सैकड़ों साल पुरानी इमारतों का यह प्रशंसनीय प्रयोग है जहां इतिहास, साहित्य, कला व संस्कृति को सुरक्षित रखा जाता है। कला दीर्घाएं और संग्रहालय रोज़ खुलने वाले और ज्यादातर मुफ्त में देखे जा सकने वाले हैं। जहां टिकट है वहां भी दर्शक और प्रशंसक हैं। वैलिंग्टन संग्रहालय पुरानी ईमारत में है जिसमें काफी खिड़कियां और रोशनदान हैं। यहां इमारतों में आम तौर पर सौम्य रंगों का प्रयोग किया जाता है। सफेद क्रीम, नीला, आसमानी, गहरा आसमानी, सलेटी वगैरा।
संग्रहालय में सैकड़ों पेंटिंग्स इतिहास और विकास को बखूबी दर्शाती हैं। वैलिंग्टन शहर की विकास यात्रा बदलते सालों के साथ दिखाई गई है। एक हिस्से में पीतल की गणेश प्रतिमा रखी हुई है। वहां दी गई सूचना, ‘भारत भवन’ में बताया गया है कि ‘वैलिंग्टन इंडियन एसोसिएशन’ सन् 1925 में बनी, जिसमें 64 भारतीय प्रवासी रहे। जिनमें से अधिकतर गुजरात से थे। इनमें परिवार शामिल रहे। सन् 1958 में तस्मान स्ट्रीट में भारत भवन बनाया गया। परिवार बढ़ रहे थे, ज्यादा जगह की आवश्यकता थी। इसलिए सन् 1992 में, किलबर्नी नामक जगह पर एक पुरानी फैक्टरी खरीद कर, उस स्थान पर नया भारत भवन बनाया गया। जहां बैठकें, त्योहार, कक्षाएं और खेल कूद आयोजित होने लगा। अब यह इमारत बेहद ख़ास है और उन मेहनती कर्मठ व्यक्तियों की आशाएं पूरी होने का प्रतिरूप है जो सन् 1920 से अपने देश से अनुमानत 12000 किमी दूर न्यूजीलैंड की राजधानी वैलिंग्टन में हैं। संग्रहालय का यह हिस्सा बताता है कि इतिहास कभी किसी के योगदान को नहीं भूलता।
वैलिंग्टन के बारे में
न्यूजीलैंड का तीसरा बड़ा शहर वैलिंग्टन, इसकी राजधानी है जो उत्तरी आइलैंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। दिल्ली से 12656 किमी है।
424000 जनसंख्या वाला वैलिंग्टन, औसत हवा गति के हिसाब से दुनिया का सबसे तेज़ हवा वाला (विंडीएस्ट) शहर है। यहां बर्फ आम तौर पर नहीं पड़ती, वर्ष 2011 में पड़ी थी।
यहां समुद्रीय मौसम रहता है, सर्दियों (जून से अगस्त) में हल्की बारिश और माइल्ड समर्स दिसंबर से मार्च तक हल्की गर्मियां होती हैं।
डे लाइट सेविंग
अप्रैल के पहले रविवार को घड़ी एक घंटा आगे यानी भारत की घड़ियों से साढ़े छह घंटे आगे हो जाती हैं जो सितम्बर तक चलती हैं। सितम्बर के अंतिम रविवार को घड़ी एक घंटा पीछे चली जाती है यानी भारत से साढ़े सात घंटे आगे।
दिसंबर से मार्च तक रात का अंधेरा नौ बजे के बाद ही आता है लेकिन सर्दियों में अंधेरा साढ़े पांच बजे शुरू हो जाता है।